ब्रह्मांड में एसे कई गृह हैं, जहां पर मानव जीवन संभव हो सकता है. विज्ञानिक पिछले कई सालों से ऐसे ही गृह की खोज कर रहे थे, जहां पर लिक्विड फॉर्म में पानी मिल सके और इंसानों का जीवन संभव हो. अब लगता है कि वैज्ञानिकों की ये तलाश भी पूरी हो चुकी हैं. हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा एक ऐसा गृह खोजा गया है, जहां पर जीवन संभव माना जा रहा है.
वैज्ञानिकों ने एक एक्सोप्लैनेट की खोज की है. इस एक्सोप्लैनेट का नाम एलएचएस 1140 बी (LHS 1140 B) है. यहां पर पानी की के होने की संभावना पाई जा रही है. वैज्ञानिकों का दावा है कि यहां पर पानी के महासागर भी हो सकते है. जो 4,000 किमी तक आकार में बड़े हो सकते हैं.
सुपर अर्थ (Super Earth)
इसे सुपर अर्थ भी कहा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योकि यहां पर पृथ्वी जितनी ही नाइट्रोजन भी हो सकती है, और इसका आकार पृथ्वी से बड़ा भी हो सकता है. एलएचएस 1140 बी को लेकर यूनिवर्सिटी डी मॉन्ट्रियल ने रिसर्च की थी. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस एक्सोप्लैनेट पर चट्टानों की नीचे भरपूर मात्रा में पानी हो सकता है.
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पानी का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस
इस एक्सोप्लैनेट पर पानी का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है. वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि ग्रह के द्रव्यमान (Mass) का 20% हिस्सा केवल पानी हो सकता है. इस गृह पर बर्फ की चट्टानें भी मौजूद हो सकती हैं. वैज्ञानिकों ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से इसके बारें में और अधिक जानकारी जुटाई है.
क्या होता है एक्सोप्लैनेट
एक्सोप्लैनेट वो गृह होते है जो तारों की परिक्रमा करते हैं. अब तक 5 हजार से ज्यादा एक्सोप्लैनेट की खोज की जा चुकी है. पहली बार 1992 में एक्सोप्लैनेट की खोज की गई थी. अभी तक मिले 5000 हजार एक्सोप्लैनेट में से 17 में पानी होने की संभावना पाई जा रही है.
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