इजराइल में साल 1970 के दशक में यह दिलचस्प फैक्ट सामने आया था. पुरातत्वविदों (archaeologists) ने एक 12,000 साल पुराने गांव में की पड़ताल की तो एक ऐसी कब्र मिली जिसमें एक महिला के सीने पर एक कुत्ता रखा हुआ है. यह दर्शाता है कि इंसान और केनिडे परिवार का रिश्ता कितना पुराना है. कुत्ते जहां भावनात्मक तौर पर इंसानों के करीब होते हैं वहीं भेड़िए पूरी तरह से जंगली होते हैं. हजारों साल पहले इंसान और कुत्ते समुदाय में साथ रहते थे लेकिन भेड़िए कभी नहीं रहे.
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युवा भेड़ियों पर की गई एक नई स्टडी से खुलासा हुआ है कि शुरुआती दिनों में इंसानों के साथ भेड़ियों की बॉन्डिंग हो सकती है. ठीक वैसे ही जैसे कुत्तों के साथ होती है. कुछ स्थितियों में वे उसी तरह से सुरक्षा दे सकते हैं जैसे कुत्ते दे सकते हैं.
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ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी, कोरवालिस में मानव-पशु के संबंधों पर अध्ययन करने वाले शोधकर्ता मोनिक उडेल ने यह दावा किया है. दूसरे विशेषज्ञों का दावा है कि इस पर और अध्ययन की जरूरत है. यह आश्वस्त करने वाला नहीं है.
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स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी में इकोलॉजिस्ट (Ecologist) की टीम ने एक स्टडी के लिए 10 दिन के भेड़ियों और कुत्तों को एक साथ रखा. इनकी आंखें नहीं खुली हुईं थीं. शोधकर्ताओं ने 24 घंटे लगातार कई दिनों तक इनके व्यवहार पर नजर रखी. 23 सप्ताह का होने पर उन्हें अलग-अलग कमरों में रखा गया. कुछ भेड़ियों को अलग कमरे में छोड़ दिया. भेड़ियों और कुत्तों के व्यवहार पैटर्न में काफी अंतर नजर आया. भेड़ियों और कुत्तों के बच्चों के व्यवहार में अतंर था. जहां कुत्ते इंसानों के साथ ज्यादा नजदीक दिखे वहीं भेड़ियों में यह प्रवृत्ति नहीं देखी गई है.
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स्टडी में यह बात सामने आई कि भेड़िए इंसानों के प्रति वैसा ही व्यवहार कर रहे हैं जैसा उनसे उम्मीद की जाती है. व्यहारों पर नजर रखी जाए तो भेड़िया और कुत्ते की प्रवृत्ति अलग-अलग होती है. भेड़िये के स्वभाव में हिंसा है वहीं कुत्तों को ट्रेनिंग के जरिए पालतू बनाया जा सकता है. अगर भेड़ियों को ट्रेनिंग भी दी जाए तो भी उन्हें पेट बनाना मुश्किल है. ऐसे में कु्त्ते की तरह भेड़ियों को पालना अभी तो दूर की कौड़ी है.