डीएनए हिंदी: अंटार्कटिका (Arctic) का 'डूम्स डे ग्लेशियर' (Doomsday Glacier) का तेजी से पिघलना जारी है. इसकी रफ्तार और तेजी से बढ़ रही है. इसने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है. बताया जा रहा है कि यह केवल एक पिन की नोक पर टिका है और कभी भी ढह सकता है. बता दें कि थ्वाइट ग्लेशियर को 'डूम्स डे ग्लेशियर' कहा जाता है. यह ग्लेशियर आकार में इतना बड़ा है कि इसमें तीन से चार शहर समा सकते हैं.
नेचर जियोसाइंस (Nature Geoscience) जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिस गति से 'डूम्स डे ग्लेशियर' पिघल रहा है उससे दुनिया भर में समुद्र का स्तर आधा मीटर बढ़ जाएगा. अगर ऐसा हुआ तो यह दुनिया के लिए अच्छी खबर नहीं है, क्योंकि अध्ययन में पहली यह कहा जा चुका है कि अगले 10 सालों में ग्लेशियर टूट सकता है. अगर टूट गया तो समुद्र का स्तर बढ़ने से तटवर्ती इलाकों के डूबने का खतरा बढ़ जाएगा.
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'डूम्सडे ग्लेशियर' नाम कैसे पढ़ा
यह ग्लेशियर गर्म समुद्र और पश्चिम अंटार्कटिक बर्फ की चादर के बीच एक बफर के तौर पर काम करता है. इसका आकार काफी विशाल है. यह 120 किलोमीटर चौड़ा है. बड़े आकार के इस ग्लेशियर में इतनी बर्फ है कि यह पिघल गया तो दुनियाभर के समुद्र में भारी वृद्धि होगी. समुद्र के समीप कई द्वीप इसमें डूब सकते हैं. 'डूम्स डे' का मतलब होता है आखिरी दिन (Last Day). इसके पूरी तरह पिघलने पर दुनियाभर में खतरा बढ़ेगा, इसीलिए इसका नाम वैज्ञानिक ने 'डूम्स डे ग्लेशियर' रखा.
ग्लेशियर के नीचे वैज्ञानिकों ने भेजा ड्रोन
शोधकर्ताओं ने ग्लेशियर के नीचे समुद्र का स्तर मापने के लिए पहली बार पानी के नीचे ड्रोन को भेजा. जांच में पता चला कि जिन रिज को मैप किया गया, वे 'एक फुटप्रिंट' की तरह हैं. इससे पहले यह ग्लेशियर यहां नहीं था, मतलब आधा था. इससे पता चलता है कि पिछले 200 साल की तुलना में ग्लेशियर हाल ही के सालों में तेजी से पिघला है. आशंका जताई जा रही है कि अगले दशक तक यह पूरा पिघल सकता है.
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एक किक में ढह सकता है ग्लेशियर
British Antarctic सर्वे के जिओफिजिसिस्ट और शोध के लेखक डॉक्टर रॉबर्ट का कहना है कि थ्वाइट्स ग्लेशियर इतना पिघल चुका है कि अब सिर्फ उसने अपने नाखूनों से पकड़ बना रखी है और वह पकड़ भी जल्द खत्म हो जाएगी यानी पिघल जाएगी. वहीं, वैज्ञानिक एलिस्टेयर ग्राहम का कहना कि अगर थ्वाइट्स को छोटा सा भी झटका लगा तो अंजाम बहुत बुरा हो सकता है.
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