Ram Lala Pran Prathistha: श्रीराम चंद्र के जन्म से लेकर जानें उनके नाम तक की पूरी कहानी, अपनी इन खूबियों से कहलाए थे सबसे महान

नितिन शर्मा | Updated:Jan 22, 2024, 11:53 AM IST

अयोध्या श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इसको लेकर देश में भारी उत्साह है. लोग राममय हो रहे हैं. इस मौके पर जानते हैं भगवान श्री राम के जन्म से लेकर उसके महान मर्यादा पुरुषोत्तम होने के पीछे की सभी खूबियां.  

डीएनए हिंदी: भगवान श्री राम के भक्तों को जिस घड़ी का वर्षों से इंतजार था. अब वह आ गई है. आज 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनकर तैयार हो गया. मंदिर के गर्भ गृह में आज भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इस मौके पर देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोगों में उत्साह है. इस मौके पर हर कोई मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के बारें में जानना और उनकी आराधना करना चाहता है. आइए जानते हैं कि कैसे भगवान श्री राम का जन्म हुआ. उनका नाम किसने दिया और किन खूबियों की वजह से विष्णु के अवतार पुरुषोत्तम राम बने. 

दरअसल त्रेतायुग में भगवान श्री राम जी का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के घर में हुआ था. उनकी तीन पत्नियां थी. पहली पत्नी कौशल्या की इकलौती संतान श्री राम थे. कथाओं में बताया जाता है कि महाराज दशरथ को श्राप की वजह से बच्चे नहीं हो रहे थे. इसके बाद वह गुरु वशिष्ठ के पास गये. यहां उन्होंने विशेष अनुष्ठान किया. श्रृंगी ऋषि के यज्ञ के बाद अग्नि से प्रकट हुए दिव्य पुरुष ने दशरथ की तीनों पत्नियों को खीर दी और इस प्रसाद को चखने के बाद उन्हेंने चार पुत्रों को जन्म दिया. इनमें सबसे बड़े श्री राम थे. 

इस दिन हुआ भगवान श्री राम का जन्म

जानकारों की मानें तो भगवान राम की जन्म की तारीख या सन के बारें में तो किसी को नहीं पता है. लेकिन यह जरूर है कि भगवान का जन्म चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की नौवीं तिथि  को हुआ था. इसी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है. यहां दोपहर के समय भगवान का जन्म हुआ था. भगवान  श्रीराम का जन्म उसी जगह हुआ जहां अब राम मंदिर का उद्घाटन होना है. रामचरितमानस में भी उल्लेख किया गया है कि जब श्री राम का जन्म हुआ था. तब सारी तिथियां दुखी हो गई थी. इसकी वजह सभी को इस बात की पीड़ा थी कि भगवान ने उनकी तिथि में जन्म क्यों नहीं लिया. 

गुरु ने रखा था नाम राम

अयोध्या में राजा दशरथ के घर जन्में श्री राम का नाम गुरु विशष्ठ ने रखा था. रामचरितमानस में भी इसका जिक्र मिलता है. गुरु वशिष्ठ ने यह नाम देते हुए कहा था कि जो आनंद के समुद्र हैं, जो सुख के राशि हैं. इसके एक कण से तीन लोक सुखी हो जाते हैं जो लोकों को आनंद देने वाले हों और जो सुख के धाम हैं. उनका नाम राम हैं. 

ऐसा था भगवान श्री राम का बचपन

कथाओं की मानें तो भगवान श्री राम बचपन में ठुमक ठुमक कर चलते थे. वह मिट्टी भी खूब खेलते थे. भगवान राम थोड़ा बड़े हुए तो अनुशासित रहने लगे. वह सबसे पहले जाकर माता.पिता और गुरु को प्रणाम कर चरण स्पर्श करते थे. खुद को मिलाकर चारों भाइयों ;लक्ष्मणए भरत और शत्रुघ्नद्ध में वह सबसे मर्यादित और समझदार थे. उनमें सर्वोत्तम गुण यह था कि वह किसी में कोई दोष नहीं देखते थे.

13 साल की उम्र में शादी और 14 साल का वनवास

बताया जाता है कि भगवान श्री राम का मात्र 13 साल की उम्र में माता सीता से विवाह हो गया था. वह स्यंवर में धनुष की प्रत्यंचा डोरी चढ़ाकर उन्होंने उसे तोड़ दिया था. माता पिता की आज्ञा के बाद विवाह किया था. शादी के कुछ समय बाद ही भगवान श्री राम को 14 साल का वनवास मिल गया. यह वनवास श्री राम की सौतेली मां कैकेयी ने अपने पुत्र मोह में दिलाया था. उन्हें यह सुझाव कैकेयी की दासी मंथरा ने दिया था. 

श्रीराम को 14 साल का ही वनवास क्यों मिला

भगवान श्रीराम को 14 साल का वनवास ही क्यों मिला था. इसके पीछे पहला तर्क है कि राजकीय नियम के मुताबिक राजा 14 साल तक राजपाट से दूर रहे तो वह हमेशा के लि अधिकार खो देता था. वहीं दूसरा तर्क था कि 14 दिन के अंदर दशरथ ने श्री राम को राजा बनाने का निर्णय लिया था. इन 14 दिनों को नाराज कैकेयी 14 साल के बराबर मानती थी. इसलिए उन्होंने श्री राम के लिए 14 साल के वनवास की मांग की थी. 

इन खूबियों से श्री राम बने मर्यादा पुरुषोत्तम राम

भगवान श्री राम में कई ऐसी खूबियां थी, जिनकी वजह से भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनें. भगवान श्री राम में दया भाव, सदाचार, मर्यादा, करुणा, धर्म, सेवा भाव और सत्यता थी. एक ही पुरुष में यह सभी गुण होना श्री राम को पुरुषोत्तम राम बनाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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