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Bhagwan Shiv ke Avatar: भगवान शिव के इन 3 स्वरूपों के अवतरण पीछे छिपी है खास वजह, जानिए

Shiv Ji ke Avatar: पुराणों में भगवान शिव के 19 स्वरूपों के विषय में बताया गया गया है जिनका अवतरण खास उद्देश्य से हुआ था.

Bhagwan Shiv ke Avatar: भगवान शिव के इन 3 स्वरूपों के अवतरण पीछे छिपी है खास वजह, जानिए
भगवान शिव

डीएनए हिंदी: Bhagwan Shiv ke Avatar- भगवान भोलेनाथ को सृष्टि के पालनहार के रूप में जाना जाता है. उनके आशीर्वाद से ही व्यक्ति के कई दुख दूर हो जाते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव भक्तों के जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है इसलिए इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को सुख-सम्पत्ति की प्राप्ति होती है. पुराणों में भगवान शिव के 19 अवतारों के विषय में बताया गया गया है लेकिन 5 ऐसे भी अवतार हैं जिनका जन्म विशेष उद्देश्य के लिए हुआ था. आइए जानते हैं. 

Bhagwan Shiv ke Avatar- भगवान वृषभ देव

भगवान शिव के इस रूप का अवतरण खास उद्देश्य के लिए हुआ था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान विष्णु पाताल लोक में दैत्यों का संहार करने के लिए गए थे, तब वहां मौजूद स्त्रियां उनके मनमोहक स्वरूप को देख कर मंत्रमुग्ध हो गई थीं. जो दैत्य उत्पात मचा रहे थे वे भगवान विष्णु के पुत्र थे जिनका जन्म इन्हीं स्त्रियों से हुआ था. जब ब्रह्म देव भगवान शिव के पास समाधान के लिए पहुंचे तब महादेव ने वृषभ रूप धरण किया और दैत्यों का संहार किया. 

Shiv Ji Ke Avatar- यतिनाथ भगवान

यतिनाथ भगवान का जन्म बड़े ही खास उद्देश्य के लिए हुआ था. मान्यता है कि उनका अवतरण भील दम्पत्ति की परीक्षा लेने के लिए हुआ था जो भगवान शिव के भक्त थे. माना जाता है कि वे अर्बुदांचल पर्वत के पास शिव साधना करते थे और वहीं वास करते थे. एक दिन यतिनाथ भगवान आहूक और आहूका भील के घर पहुंचें. तभी आहूक शिकार पर निकल गया. कुछ समय बाद देखा कि आहूक को वन्य जीवों ने मार दिया है. अपने पति की मृत्यु से आहूका इतना आहत हुई कि वह भी मुखाग्नि में बैठ गई. तब यतिनाथ भगवान ने दर्शन दिया और वरदान दिया कि वे अगले जन्म में भी पति-पत्नी ही रहेंगे. 

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Bhagwan Shiv Avatar- कृष्णदर्शन रूप

भगवान शिव ने धरती पर धर्म और यज्ञ का महत्व समझाने के लिए इस रूप में धरती पर अवतरण लिया था. यही कारण है कि उन्हें 'धर्म' का प्रतीक भी माना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार श्राद्ध देव के पुत्र राजा नभग ने यज्ञ को सफलतापूर्वक सम्पन्न. इसके बाद ब्रह्मणों ने राजा नभग को अभीष्ट धन दिया और वे वहां से चले गए. इस घटना के कुछ देर बाद ही कृष्णदर्शन प्रकट हुए और उन्होंने राजा नभग को अभीष्ट धन देने के लिए कहा. इन दोनों के बीच इस विषय पर गंभीर चर्चा हुई. अंत में भगवान शिव को इस बात का निर्णय राजा नभग को अपने पिता से लेने के लिए कहा. तब श्राद्ध देव ने बताया कि यह स्वयं महादेव हैं जो परीक्षा के लिए अवतरित हुए हैं. तब राजा नभग ने उन्हें अभीष्ट धन सौंप दिया.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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