Barna Parv of Champaran: अजब-ग़जब है यह त्योहार, 2 दिनों तक नहीं तोड़ सकते तिनका भी

Written By शांतनू मिश्र | Updated: Aug 23, 2022, 06:47 PM IST

barna parv, tharu adivasi, champaran, bihar, Protection of environment, environmental awareness, save trees and forest, tharu tribe, tharu janjati, बरना पर्व, चंपारण, थारू जनजाति, आदिवासी

Barna Parva West Champaran: बिहार के पश्चिमी चंपारण क्षेत्र में एक ऐसा पर्व मनाया जाता है जिसमें 48 घंटे की अवधि के दौरान घास या तिनका तोड़ना तो दूर पेड़-पौधों को छूना भी मना है. आइए जानते हैं कब से चली आ रही है यह परम्परा और क्या है इसका मुख्य उद्देश्य.

डीएनए हिंदी: Barna Parva West Champaran- हमारे जीवन में पेड़-पौधों का महत्व सबसे ज्यादा है. इन्हीं से हमें शीतलता, फल, रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली कई चीजें प्राप्त होती हैं. जहां पेड़-पौधे होते हैं वहां कभी सूखा नहीं पड़ता है. दुनिया भर में पेड़-पौधों को बचाने के लिए कई प्रकार के मुहिम चलाए जा रहे हैं. बिहार के पश्चिमी चंपारण क्षेत्र में एक ऐसा पर्व मनाया जाता है जिसमें 48 घंटे की अवधि के दौरान घास या तिनका तोड़ना तो दूर पेड़-पौधों को छूना (Protection of environment) भी मना है. इस अनोखे पर्व का नाम है 'बरना पर्व'. बता दें कि यह परंपरा 400 से अधिक साल पुरानी है और आज भी यहां थारू जनजाति के लोग इस परंपरा का पालन करते हैं. 

कब से शुरू हो रहा है यह अनोखा पर्व (Barna Parv Date in Champaran)

इस वर्ष बरना पर्व 30 अगस्त से 22 सितंबर के बीच मनाया जाएगा. इन दिनों में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग अवधि के दौरान यह पाबंदी लागू की जाएगी. इस पर्व को मनाने का उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण के लिए जागरूक रखना और हरियाली को बचाने के लिए संकल्प लेना है. 

Astro Tips: ग्रहदोष दूर करने के लिए महंगे रत्‍न की जगह पहनें इन पौधों की जड़, मिलेंगे शुभ फल

लाठी-डडों से Tharu Tribe के लोग करते हैं पेड़-पौधों की निगरानी

इतिहासकारों की मानें तो थारू समाज (Tharu Janjati) के लोग 16वीं शताब्दी से ही जंगल में गुजर-बसर कर रहे हैं. जंगल में रहते हुए उन्होंने एक देवी-देवता की पूजा की और हरियाली को बचाने का संकल्प लिया. तभी से इस अनूठे पर्व की शुरुआत हुई. इस पर्व के दौरान थारू जनजाति के लोग लाठी-डंडों से पेड़ पौधों की सुरक्षा करते हैं और मवेशियों के लिए चारा भी कई दिन पहले ही जमा कर लिया जाता है. इस दौरान फल और सब्जियों को भी तोड़ा नहीं जाता है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.