Chanakya Niti: जीवन में मित्रों का भी पड़ता है गहरा प्रभाव, जानिए क्या कहते हैं आचार्य चाणक्य

शांतनू मिश्र | Updated:Jul 12, 2022, 05:22 PM IST

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Chanakya Niti: इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य बताते हैं कि मनुष्य को दुराचारी और दुष्ट स्वभाव वाले व्यक्ति से कभी मित्रता नहीं करना चाहिए. साथ ही ऐसे व्यक्ति से संबंध नहीं रखना चाहिए जो दूसरों को हानि पहुंचाता है.

डीएनए हिंदी: Chanakya Niti- मनुष्य के लिए ज्ञान सबसे बड़ा धन हैं और जो उस ज्ञान को आप तक पहुंचाता है वह उससे भी बड़ा है. आचार्य चाणक्य उन्हीं विद्वानों में से एक थे. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के द्वारा कई ऐसी बातों को समझाया है जो मनुष्य के सफलता से जुड़े हुए हैं. आचार्य को विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में गिना जाता है. राजनीति, कूटनीति, रणनीति में निपुण आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti Motivations) भले ही स्वभाव में कठोर थे लेकिन गुरु के रूप में उनका योगदान आज भी याद किया जाता है. माता-पिता, गुरु के साथ-साथ जीवन में मित्र भी एक अहम भूमिका निभाते हैं. चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते हैं व्यक्ति को कैसी संगत में रहना चाहिए और कैसे मित्र बनाने चाहिए. 

दुष्ट व्यक्ति से ना करें मित्रता- Chanakya Niti in Hindi

दुराचारी च दुर्दृष्टिर्दुराऽऽवासी च दुर्जनः। 
यन्मैत्री क्रियते पुम्भिर्नरः शीघ्र विनश्यति॥

चाणक्य नीति में लिखे इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य बताते हैं कि मनुष्य को दुराचारी और दुष्ट स्वभाव वाले व्यक्ति से कभी मित्रता नहीं करना चाहिए. साथ ही ऐसे व्यक्ति से संबंध नहीं रखना चाहिए जो दूसरों को हानि पहुंचाता है. ऐसे व्यक्ति का प्रभाव कभी न कभी आप पर भी पड़ सकता है. 

दुष्ट मित्र से अच्छा सांप है

दुर्जनेषु च सर्पेषु वरं सर्पो न दुर्जनः। 
सर्पो दंशति कालेन दुर्जनस्तु पदे-पदे॥

आचार्य चाणक्य इस श्लोक में बता रहे हैं कि अगर हम दुष्ट व्यक्ति और सांप की तुलना करें तो सांप अच्छा है. वह इसलिए क्योंकि सांप केवल एक बार डसता है लेकिन दुष्ट व्यक्ति हर कदम पर आपको हानि पहुंचाने का काम करता है. ऐसे में व्यक्ति को दर्जन लोगों से मित्रता नहीं करनी चाहिए. वह उसे भी नुकसान पहुंचा सकता है. 

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ऐसे व्यक्ति से तोड़ लेने चाहिए सभी रिश्ते- Chanakya Niti for Friendship

परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्। 
वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम्॥

चाणक्य नीति के श्लोक में बताया गया है कि अगर आप ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो पीठ पीछे आपकी बुराई करता है और सामने आपके साथ हंसते हुए और आपकी बड़ाई करते हुए बात करता है. ऐसे व्यक्ति को मुंह पर दूध रखे हुए विष के घड़े के समान छोड़ देना चाहिए. साथ ही उससे सभी प्रकार के रिश्ते तोड़ लेने चाहिए. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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