Chanakya Niti: किस तरह पुत्र कुल का नाम ऊंचा कर सकता है और गिरा सकता, चाणक्य नीति से जानिए

शांतनू मिश्र | Updated:Jul 16, 2022, 09:51 PM IST

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियों में कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं जिनको समझना आज जरूरी है.

डीएनए हिंदी: Chanakya Niti- जीवन में ज्ञान को बहुत ही उच्च दर्जा प्राप्त है. ज्ञान के बिना कोई भी व्यक्ति उन्नति या सफलता के मार्ग पर नहीं चल सकता है इसलिए ज्ञान का होना बहुत जरूरी है. इसके बिना ना धन प्राप्त हो सकता है और ना ही समाज में नाम कमाया जा सकता है. आचार्य चाणक्य ने ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी नीतियों का निर्माण किया था. उनके नीतियों में ना केवल राजनीति या कूटनीति की बातें लिखी हुई थीं, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के महत्वपूर्ण विषयों को सम्मिलित किया गया था. आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya Teaching) द्वारा रचित चाणक्य नीति को आज भी गंभीरता से पढ़ा जाता है. इसके साथ उनका नाम विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में लिया जाता है. उनकी नीतियों में कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं जिनको समझना आज जरूरी है. उन्होंने बताया है कि कैसे पुत्र पूरे कुल का नाम ऊंचा कर सकता है या उसे नीचे गिर सकता है. आइए जानते हैं

चाणक्य नीति की महत्वपूर्ण बातें (Chanakya Niti in Hindi)

एकोऽपि गुणवान् पुत्रो निर्गुणैश्च शतैर्वरः। 
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च ताराः सहस्रशः।।

चाणक्य नीति के श्लोक में बताया गया है कि जिस तरह एक चांद रात्रि के अंधकार को दूर कर देता है, लेकिन अनगिनत सारे मिलकर भी उस अंधकार को दूर नहीं कर पाते हैं. उसी प्रकार एक गुणी पुत्र पूरे कुल का नाम रोशन करता है और सैकड़ों निर्गुण पुत्र होते हुए भी उस कुल प्रतिष्ठा ऊंचा नहीं कर सकते हैं.

ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः सः पिता यस्तु पोषकः। 
तन्मित्रं यत्र विश्वासः सा भार्या या निवृतिः।।

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) बताते हैं कि पुत्र वही है जो पिता का भक्त होता है. पिता वही है जो पालन-पोषण करता है. मित्र वही है जिस पर आंख मूंदकर भी विश्वास किया जा सकता है और पत्नी वही है जो हमेशा आपके साथ देती है.

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किं तया क्रियते धेन्वा या न दोग्ध्रो न गर्भिणी। 
कोऽर्थः पुत्रेण जातेन यो न विद्वान्न भक्तिमान्।।

आचार्य चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से पुत्र के विद्या पर कठोर भाव प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि उस गाय से क्या करना जो दूध देती हो और न ही गाभिन होती है. उसी तरह उस पुत्र के जन्म से क्या लाभ जो विद्वान ना हो और जो ईश्वर का भक्त ना हो.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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