डीएनए हिंदी: आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने जीवन की समस्याओं का करीब से अध्ययन किया है. इन समस्याओं के विषय में हमें चाणक्य नीति (Chanakya Niti) के द्वारा सचेत भी किया है. चाणक्य नीति में कुछ ऐसे विषयों पर प्रकाश डाला गया है जिन्हें हम आमतौर पर नज़रअंदाज कर देते हैं. बुरा वक़्त कभी भी, कैसे भी आ सकता है. इस समय से कैसे पार पाया जाए?आचार्य चाणक्य की इन 4 बातों को अपनाकर ज़िंदगी हो सकती है आसान.
बुरा वक्त सभी के जीवन में आता है किन्तु आपके अंदर आत्मविश्वास है तो वह वक्त जल्दी खत्म भी हो जाता है. बुरे वक्त से पीछा छुड़ाने के लिए व्यक्ति को अपना आत्मविश्वास जरूर बरक़रार रखना चाहिए. इससे बुरा वक्त भी तेजी से खत्म हो जाएगा. यही कारण है कि आत्मविश्वास की कमी से व्यक्ति बुरे वक्त में जल्दी हार मान जाता है.
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समय एक समान नहीं रहता है इसलिए इससे डर जाना या इससे पीछा छुड़ाना कोई विकल्प नहीं है. ज़रुरी है कि बुरे वक्त में हमेशा निडरता का परिचय दें. घबराने वाले व्यक्ति के मन से सकारात्मक विचार दूर भाग जाते हैं और बुरे विचारों का जमावड़ा लग जाता है. अपने डर पर काबू पाना जरूर सीखें क्योंकि डर सोचने-समझने की क्षमता को भी प्रभावित करता है.
चाणक्य नीति के अनुसार बीते वक्त को ही जीते रहने वाला व्यक्ति बुरे वक्त में अपने ऊपर काबू नहीं रख पाता है. बीते वक्त को याद करके पछताना और भविष्य को लेकर जरूरत से अधिक चिंता करना इंसान को अंदर से खोखला कर देती है. सच बात है कि असफलता का दौर बुरा होता है, लेकिन उसे सोचते रहना ज्यादा बुरा है. इसलिए वर्तमान में खुद को संभालें और इसपर विचार करें.
बुरा वक्त कभी भी और किसी रूप में आ सकता है, अत: इससे निबटने के लिए पहले से ही तैयार रहें. पैसों की बचत इसका अच्छा विकल्प है. बुरे वक्त में सबसे अधिक काम यही आता है. इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप बुरे समय के लिए धन को संचय करते रहें.
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