डीएनए हिंदी: Chanakya Niti Motivation- आचार्य चाणक्य द्वारा रचित चाणक्य नीति को ज्ञान का स्रोत माना जाता है. उनके द्वारा रचित अनेकों श्लोक और नीतियों में जीवन के सफलता का राज छिपा हुआ है. आचार्य चाणक्य विश्व के उन श्रेष्ठतम विद्वानों में से थे जिन्होंने मनुष्य को सही मार्ग दिखाने का कार्य किया था. आज भी कई प्रतिष्ठित संस्थानों में चाणक्य नीति को पढ़ाया जाता है और इसके इतिहास को समझाया जाता है. आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ना केवल राजनीति, कूटनीति और अर्थनीति में पारंगत है बल्कि जीवन के अन्य विषयों का भी उन्हें उत्तम ज्ञान था. उन्होंने बताया था कि अभ्यास न करने से व्यक्ति को कितना नुकसान हो सकता है. चाणक्य नीति के भाग में आइए जानते हैं इसी विषय पर.
अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम् ।
दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृद्धस्य तरुणी विषम् ।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ है कि जिस प्रकार बढ़िया भोजन बदहजमी के दौरान लाभ की जगह हानि पहुंचाता है और विष का कार्य करता है. उसी प्रकार अभ्यास न करने से शास्त्र का ज्ञान मनुष्य को घातक विष के समान हानि पहुंचाता है. इसलिए व्यक्ति को किसी भी कार्य को करते हुए उसका निरंतर अभ्यास करना चाहिए. उससे वह ना केवल उस विषय में पारंगत हो सकता है बल्कि उसमें बड़ी सफलता भी हासिल कर सकता है.
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अभ्यासाद्धार्यते विद्या कुलं शीलेन धार्यते ।
गुणेन ज्ञायते त्वार्य कोपो नेत्रेण गम्यते ।।
आचार्य चाणक्य श्लोक के माध्यम से बता रहे हैं कि अभ्यास से विद्या आती है. शील और उत्तम स्वभाव से कुल का और गुणों से व्यक्तों की श्रेष्ठता का पता चलता है. आंखों से विरोध का समने आता है. इसलिए व्यक्ति को विद्या अर्जित करते समय अभ्यास निरंतर करना चाहिए. साथ ही उसे शील स्वभाव रखना चाहिए. गुणों में उसे उत्तम होना चाहिए व क्रोध पर काबू करना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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