डीएनए हिंदी: आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) को महान विद्वानों और शिक्षकों में गिना जाता है. उनके द्वारा रचित चाणक्य नीति का आज भी बहुत गहराई से अध्ययन किया जाता है. उनकी नीतियां किसी को खुश करने के लिए नहीं बल्कि जीवन के मीठे और कड़वे सत्य को जानने के लिए बनाया गया है. इसके साथ उन्होंने अपनी नीतियों के माध्यम से जीवन में आ रही मुश्किलों का सामना कैसे करें इसके विषय में भी बताया है. धन, विद्या, युद्ध इत्यादि विषयों पर आचार्य (Acharya Chanakya) ने कई श्लोक अथवा नीतियों का निर्माण किया था, लेकिन इसके साथ उन्होंने मनुष्य किस तरह जीवन जीना चाहिए इसके विषय में भी बताया. चाणक्य नीति के इस भाग में ऐसे ही एक विषय के बारे में बात करेंगे जिसमें उन्होंने बताया है कि किन व्यक्तियों को सबसे ज़्यादा भुगतना पड़ता है.
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Chanakya Niti- 7वां अध्याय, 12वां श्लोक
नात्यन्तं सरलेन भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्।
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः।।
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चाणक्य नीति के इस श्लोक के अनुसार जो व्यक्ति स्वभाव से सीधा और सरल होता है उनका लोग फायदा उठाते हैं. जिस तरह जंगल में सीधे पेड़ को काट दिया जाता है उसी तरह सीधे व्यक्ति पर जरूरत से अधिक अत्याचार किया जाता है. इसलिए व्यक्ति को सीधा नहीं, चतुर होना चाहिए.
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आचार्य (Chanakya Niti) ने इस श्लोक के माध्यम से बताया है कि समाज में सीधे, सरल और सहज व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जो लोग चालाक और गलत फायदा उठाने की मंशा रखते हैं, वे ऐसे लोगों को भ्रम में रखकर उनका फायदा उठाते हैं.
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साथ ही आचार्य ने यह भी बताया है कि समाज में ऐसे व्यक्ति को कमजोर माना गया है. उनके अनुसार ज्यादा सीधे व्यक्ति को मूर्ख की श्रेणी में रख दिया जाता है. यही कारण है कि जीवन में लक्ष्य प्राप्ति के लिए और बुरे लोगों से बचने के लिए व्यक्ति को खुद के भीतर भी चतुराई लानी होगी.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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