डीएनए हिंदी: आचार्य चाणक्य द्वारा चाणक्य नीति ( Chanakya Niti ) में कई ऐसी बातें बताई गई हैं जिनके तार जीवन के विकास से जुड़े हुए हैं. आचार्य विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में गिने जाते हैं. उनके द्वारा लिखे गए श्लोकों में जीवन के कई रहस्य छिपे हुए हैं. ऐसा माना जाता है राजनीति, कूटनीति, अर्थ शास्त्र जैसे विषयों में इनकी बराबरी करना मुश्किल है. चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते हैं किस तरह हम जीवन में सफल बन सकते हैं.
यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवः।
न च विद्यागमऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को उस देश में निवास कदापि नहीं करना चाहिए, जहां आपका सम्मान या रोजगार आदि ना हो. साथ ही जहां आपका मित्र ना हो. ऐसे स्थान को छोड़ देना चाहिए जहां आप कोई ज्ञान प्राप्त न कर सकें.
ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः स पिता यस्तु पोषकः।
तन्मित्रंयत्रविश्वासःसा भार्या यत्र निर्वृतिः।।
चाणक्य नीति (Chanakya Niti ) के इस श्लोक का अर्थ है कि पुत्र वही है जो माता-पिता का भक्त या कहना मानता है. वास्तव में पिता वही है जो अपने बच्चों का लालन-पालन सही ढंग से करता है. मित्र वो है जिसपर हम आंख मूंदकर विश्वास कर सकते हैं और पत्नी वही है जो एक साथ चलने का प्रण लेती है.
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कष्टञ्च खलु मूर्खत्वं कष्टं च खलु यौवनम्।
कष्टात् कष्टतरं चैव परगेहे निवासनम्।।
आचार्य चाणक्य के अनुसार मुर्खता दुख प्रदान करती है, जवानी भी दुख देती है. लेकिन इससे भी बढ़कर दुखदायी किसी दुसरे के घर जाकर किसी का अहसान लेना है.
पुत्राश्च विविधैः शीलैर्नियोज्याः सततं बुधैः।
नीतिज्ञाः शीलसम्पन्ना भवन्ति कुलपूजिताः।।
चाणक्य नीति (Chanakya Niti ) में आचार्य ने कहा है कि बुद्धिमान पिता को अपने बच्चों को अच्छे गुण और संस्कार देना चाहिए. वह इसलिए क्योंकि ज्ञानी व्यक्तियों को आदर और सम्मान मिलता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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