आचार्य चाणक्य की नीतियां(Chanakya Niti) सदा से मानव जीवन में उपयोगी रही हैं. चाणक्य नीति में राजनीति, अर्थशास्त्र, जीवनशैली जैसे महत्वपूर्ण विषयों को बड़ी बारीकी से कहा गया है. बता दें कि आचार्य चाणक्य की गिनती महानतम विद्वानों में की जाती है. आचार्य चाणक्य(Chanakya) की सीख को भारत में ही नहीं अपितु विश्व में ख्याति प्राप्त है. इसलिए आज हम आपको एक ऐसे विषय से परिचित कराएंगे जिससे लगभग सभी त्रस्त हैं. वह विषय है ‘विवाद’. आचार्य ने चाणक्य नीति के द्वारा बताया था कि इन 4 लोगों से कभी भी विवाद मोल नहीं लेना चाहिए:
प्रियजन
आचार्य चाणक्य द्वारा यह स्पष्ट रूप से कहा गया है जीवन में बिना रुकावट से आगे बढ़ने के लिए प्रियजनों का साथ मिलना बहुत महत्वपूर्ण होता है. यही कारण है कि कभी आप अपने प्रियजनों से विवाद मोल न लें. ऐसा करने से आपको ही पछतावा होगा.
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मित्र
जीवन में एक करीबी मित्र महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त करता है. उसी से हम सुख-दुख की बातें नि:संकोच बांट सकते हैं. इसलिए चाणक्य नीति में कहा गया है कि मित्र से कभी भी विवाद न बढ़ाएं, वह इसलिए क्योंकि मित्र यदि आपका शत्रु बन गया तो वह आपकी गुप्त बातें, आपके विपरीत इस्तेमाल कर सकता है.
गुरु
एक छात्र के जीवन में गुरु मार्गदर्शक बनकर सभी प्रकार के ज्ञान से परिचित कराते हैं. आदिकाल से गुरुओं का स्थान भगवान के समान माना गया है. धनुर्धर अर्जुन के लिए द्रोणाचार्य, सम्राट चन्द्रगुप्त के लिए आचार्य चाणक्य और हमारे लिए हमारे गुरु, इन सभी ने लक्ष्यप्राप्ति के लिए हमें प्रेरित किया है. इसलिए गुरु से वाद-विवाद करना आपके भविष्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है.
मूर्ख व्यक्ति
मूर्ख व्यक्ति से विवाद करना खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारने के समान है. वह इसलिए क्योंकि वह ना तो आपकी बात सुनेगा और ना ही अपनी बातों को सिद्ध कर पाएगा. जिससे केवल आपका ही समय बर्बाद होगा. इसलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि मूर्ख व्यक्ति से विवाद न करें, इससे आपका ही नुकसान होगा.
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विवाद से बचने का तरीका
गुस्से से दूरी बनाएं: गुस्सा विवाद(Anger Issue) का सबसे बड़ा कारण है. क्रोधी व्यक्ति से हर कोई धीरे-धीरे दूरी बनाने लगता है. जिससे वह व्यक्ति विवादों को अपना साथी बना लेता है. इसलिए आचार्य चाणक्य ने व्यक्ति को गुस्से पर काबू रखने की सलाह दी है.
घमंड न करें: घमंड में चूर व्यक्ति कभी भी अपने से छोटे या अपने से बराबर व्यक्ति को मोल नहीं देता है, इस कारण से वैचारिक मतभेद बढ़ने के संभावनाएं बढ़ जाती हैं. बता दें कि घमंड एक ऐसा अवगुण है जिससे व्यक्ति की आंतरिक प्रतिभा खत्म हो जाती है. यही कारण है कि चाणक्य नीति में स्पष्ट कहा गया है कि विवाद से बचने के लिए घमंड से दूर रहें.
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