डीएनए हिंदी : कई लोग प्रातः पूजा के साथ संध्या वंदन भी करते हैं. इसे धर्म के अनुसार शुभ फलदायक माना जाता है पर संध्या पूजन के कुछ नियम-क़ायदे हैं जिनका ख़याल रखना बेहद ज़रूरी है. शाम को पूजा करते हुए किन बातों का ख़याल रखना चाहिए, उसके बारे में आचार्य डॉक्टर विक्रमादित्य विस्तार से बता रहे हैं.
शाम को पूजा के लिए न तोड़ें फूल
यदि आप सुबह के समय भगवान को ताजे फूल चढ़ाते हैं तो ये बहुत अच्छी बात है, लेकिन शाम के समय पूजा(Evening Worship Rules) करते हैं, तो फूल न तोड़ें. शास्त्रों के अनुसार, शाम के समय फूल तोड़ना शुभ नहीं होता. इसलिए शाम के समय भगवान को फूल अर्पित न करें और न ही भगवान की पूजा के लिए फूल तोड़ कर लाएं.
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रात्रि में न बजाएं शंख और घंटी
सुबह की पूजा में शंख और घंटी बजाने से सकारात्मक ऊर्जा फैलती है, लेकिन रात्रि के समय घंटी और शंख नहीं बजाना चाहिए. ऐसा इसलिए, क्योंकि माना जाता है कि रात्रि के समय देवी-देवता सोने चले जाते हैं. ऐसे में शंख या घंटी बजाने से उनके आराम में खलल पड़ सकता है.
सूर्यदेव की पूजा
सूर्यदेव की पूजा का शास्त्रों में विशेष महत्व है. चाहे किसी भी देवी-देवता की पूजा हो सूर्यदेव का स्मरण जरूर किया जाता है, लेकिन सूर्यदेव की पूजा हमेशा दिन में की जाती है. सूर्यास्त के बाद सूर्यदेव की पूजा करना शुभ नहीं माना जाता है.
तुलसी का पत्ता
पूजा में तुलसी का प्रयोग करना काफी शुभ माना गया है. भगवान विष्णु और उनके अवतार कृष्णजी को तुलसी बेहद प्रिय है, लेकिन सूर्य के अस्त होने के बाद तुलसी की पत्तियां(Tulsi Leaves) न तोड़े और न ही शाम की पूजा में तुलसी का प्रयोग करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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