डीएनए हिंदी: सिखों के 9वें गुरु, गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur Jayanti 2022) को सभी सिख गुरुओं के भांति बहुत पराक्रमी और आदर्शों के लिए शहीद होने वाले महापुरुषों में गिना जाता है. गुरु तेग बहादुर को प्रेम, त्याग और बलिदान का प्रतीक भी माना जाता है, जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. इतिहास में गुरु तेग बहादुर का बलिदान अद्वितीय है और उनका नाम सर्वश्रेष्ठ बलिदानियों में गिना जाता है. आइए जानते हैं कैसे हुए थे गुरु तेग बहादुर शहीद.
कश्मीरी पंडितों के लिए दिया था बलिदान
गुरु तेग बहादुर ने सदा लोगों सुमार्ग पर चलने का ज्ञान दिया है. जिस समय ये मार्गदर्शक के रूप में लोगों को सही मार्ग दिखा रहे थे उस समय मुगलों के अत्याचार में भी वृद्धि हो रही थी. धर्मांतरण, लूटपाट यह सब अपने चरम पर था. क्रूर मुगलों के अत्याचारों से कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) को बचाने के लिए इन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया. क्रूर मुगल शासक औरंगजेब (Aurangzeb) ने गुरु तेग बहादुर जी इस्लाम धर्म न मानने पर मृत्यु दंड दिया. जिसके बाद गुरु तेग बहादुर को खोलते तेल में डाला गया था. कई जगह यह भी बताया जाता है औरंगजेब ने उनका सर कलम करने का आदेश दिया था.
इस दिन बांटा जाता है शरबत
गुरु तेग बहादुर के प्रकाश पर्व पर सिख समुदाय के लोग सेवा कार्य करते हैं. इस दिन जगह-जगह छबील लगाकर शरबत बांटा जाता है क्योंकि शरबत ठंडक का प्रतीक है. सिख समुदाय में सेवा को सबसे ऊपर रखा गया है इसलिए गुरुद्वारे में भी सभी वर्ग के लोग स्वेच्छा से सेवा देते हैं.
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