Guru Tegh Bahadur Jayanti 2022: जानिए कौन हैं Nihang Sikh? क्या है उनका इतिहास

| Updated: Apr 20, 2022, 06:22 PM IST

निहंग सिख 

Guru Tegh Bahadur Jayanti 2022 पर जानिए Nihang Sikh कौन होते हैं? क्या रहा है उनका इतिहास?

डीएनए हिंदी: सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर जी ( Guru Tegh Bahadur Jayanti 2022 ) की जयंती 21 अप्रैल को मनाई जाएगी. सिख परंपरा के अनुसार प्रकाश पर्व के दिन गुरद्वारे में ​अरदास, प्रभात फेरी, भजन-कीर्तन, विशेष लंगर आयोजित किए जाते हैं. इस दिन प्रभात फेरी में सिख निहंग अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं. सिख निहंग अपने शौर्य के लिए जाने जाते हैं. सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह की लाडली फ़ौज के रूप में निहंग सिख ( Nihang Sikh ) जाने जाते हैं. इस फ़ौज को गुरु गोबिंद सिंह ( Guru Gobind Singh ) ने ही तैयार किया था और इस परंपरा को आज भी बरकरार रखा गया है. 

निहंग सिख नीला वस्त्र पहनते हैं अपने पास हमेशा तलवार और कुछ हथियार रहते हैं. इनकी पगड़ी भी अलग होती है. जानिए निहंग सिखों के विषय में कुछ खास बातें. 

Nihang Sikh- अर्थ 

निहंग शब्द के दो अर्थ ( Nihang Sikh Meaning ) मिलते हैं एक फारसी में और दूसरा संस्कृत में. फारसी में निहंग शब्द का अर्थ मगरमच्छ, तलवार और कलम को बताया गया है. संस्कृत में निशंक शब्द का वर्णन मिलता है. जिसका अर्थ है निर्भय, निष्कलंक, शुद्ध, सांसारिक फ़ायदों और आराम से दूर रहने वाला.

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Nihang Sikh- इतिहास

सिख इतिहास में निहंगों ने अहम भूमिका निभाई है. मुगलों से युद्ध करते समय सिख धर्म ( Sikh Religion ) को बचाने के लिए निहंगों ने भीषण युद्ध किया था. निहंग सिख ( Nihang Sikh History ) घुड़सवारी, तलवारबाज़ी सहित युद्ध कलाओं में पारंगत होते हैं. साथ ही निहंग भी अलग-अलग समूह में रहते हैं और उस समूह का नेतृत्व जत्थेदार करते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि निहंग समूह में भी दो दल होते हैं. एक बुड्ढा दल और दूसरा तरूणा दल. बुड्ढा दल में बुजुर्ग निहंग रहते है और तरूणा दल में नौजवान सिख रहते हैं.

निहंग सिख गुरूद्वारों में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और अपने कला का प्रदर्शन करते हैं. 

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Nihang Sikh- नियम

अगर कोई आम व्यक्ति निहंग सिख ( Nihang Sikh Rules ) बनने की इच्छा रखता है तो उसे वह सभी नियम मानने पड़ते हैं जिन्हें निहंग सिख आमतौर पर मानते हैं. निहंग सिख जीवन भर सिर से लेकर पैर तक बाल नहीं कटा सकते हैं. इन्हें जीवन भर नीला चोला पहनना होता है और ये खुद ही अपना लंगर बनाते हैं. इन्हें घुड़सवारी और युद्ध कला भी सीखना होता है, साथ ही सभी धार्मिक पाठ भी उन्हें याद होते हैं. 

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