डीएनए हिन्दी: एक जुलाई यानि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान श्री कृष्ण को समर्पित जगन्नाथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2022) बड़े ही भव्य रूप से निकाली जाएगी. इस विशेष रथ यात्रा का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक है. यही कारण है लाखों-करोड़ों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होने के लिए एकत्रित होते हैं. इस यात्रा का प्रचलन न केवल देश में है बल्कि विदेशों में भी है. आप भी अगर इस भव्य यात्रा में शामिल होना चाहते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
तीन रथों पर विराजमान होते हैं तीनों भाई-बहन (Jagannath Rath Yatra 2022 Facts)
यह रथ यात्रा हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है. इस यात्रा में तीन बड़े ही खास रथ तैयार किए जाते हैं. इन रथों पर भगवान श्री कृष्ण, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा आसीन रहते हैं. इन रथों का रंग भी अलग हो इस बात का खास ध्यान रखा जाता है. भगवान श्री कृष्ण के रथ गरुड़ध्वज का रंग सदैव पीला या लाल रहता है. भाई बलराम जी के रथ तालध्वज का रंग लाल और हरा रखा जाता है और बहन सुभद्रा जी के रथ का रंग काला या नीला रखा जाता है.
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रथ यात्रा का शुरू और समापन (Jagannath Rath Yatra 2022)
यात्रा शुरू होने पर गजपति यात्रा स्थल पर आते हैं और रथयात्रा आरंभ करते हैं. सोने की झाड़ू से भगवान को ले जाने वाले रास्ते को भी वे साफ करते हैं. बता दें कि यात्रा के अंत के भी कुछ दिनों तक वह रथ पर ही आसीन रहते हैं. फिर एकादशी के दिन मंदिर के द्वार खोले जाते हैं. प्रतिमाओं को यहां लाने के बाद भगवान श्री कृष्ण, बलराम जी और देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं को स्नान कराया जाता है और विधि-विधान से पूजा की जाती है.
प्राचीन काल से यह मान्यता है कि तीनों भाई-बहन अपने मौसी के घर गुंडीचा मंदिर तक जाते हैं. यहां वे थोड़ा आराम करते हैं. फिर शुक्ल पक्ष के 11वें दिन अपने घर लौट आते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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