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Jagannath Rath Yatra 2022: जानिए जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़े कुछ एकदम अनोखे फैक्ट्स

Jagannath Rath Yatra 2022: उड़ीसा के पुरी शहर को हिंदु धर्म में प्राचीन एवं पवित्र सात नगरियों में गिना जाता है.

Jagannath Rath Yatra 2022: जानिए जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़े कुछ एकदम अनोखे फैक्ट्स
जगन्नाथ पुरी मंदिर

डीएनए हिंदी: जगन्नाथ रथ यात्रा 2022 (Jagannath Rath Yatra 2022) करीब आ रही है. ऐसे में भारतीय राज्य उड़ीसा के पुरी शहर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल होने के लिए एकत्रित होते हैं. बता दें कि उड़ीसा के पुरी शहर को हिंदू धर्म की प्राचीन एवं पवित्र सात नगरियों में गिना जाता है. आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य यात्रा इसी नगरी में निकाली जाती है. इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा विशाल रथों पर सवार होकर अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं. लेकिन क्या आप जगन्नाथ पुरी मंदिर के कुछ रोचक रहस्य के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो आइए जानते हैं. 

इस वर्ष बना था जगन्नाथ पुरी मंदिर 

पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर का निर्माण राजा इंद्रद्यम ने करवाया था. समय-समय पर इस मंदिर का जीर्णोद्धार कई राजाओं ने कराया. इस मंदिर का प्रमाण सबसे पहले महाभारत के वनपर्व में मिलता है. वर्तमान में जो आप मंदिर देख रहे हैं उसे सातवीं सदी में बनाया गया था. बता दें कि यह मंदिर 3 बार टूट चुका है. साल 1174 में उड़ीसा के शासक आनंग भीमदेव ने भी इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. पुरी नगरी की खास बात यह है कि यहां लगभग 30 छोटे-बड़े मंदिर और भी स्थापित हैं.

सभी दिशाओं से भगवान करते हैं इस क्षेत्र की रक्षा (Jagannath Puri Temple Facts)

स्कंद पुराण में यह वर्णन मिलता है कि पुरी शहर 5 कोस यानी 16 किलोमीटर क्षेत्र तक फैला हुआ है. पौराणिक मान्यता यह है कि इसका लगभग दो कोस बंगाल की खाड़ी में डूब चुका है. पुराण में इस क्षेत्र को दक्षिणवर्ती शंख की तरह बताया गया है. इसका उदय समुद्र की सुनहरी रेत से ढका हुआ जिसे महोदधि की पवित्र जल धोती रहती है. सिर वाला क्षेत्र जो पश्चिम दिशा में है उसकी रक्षा महादेव स्वयं करते हैं. शंख की भांति दूसरे घेरे में भगवान शिव का दूसरा रूप ब्रह्म कपाल मोचन विराजमान हैं. मान्यता यह है कि भगवान ब्रह्मा का एक सिर महादेव की हथेली में चिपक गया था और वह यहीं पर आकर गिरा था. तब से यहां पर महादेव ब्रह्म रूप में विराजमान है. शंख के तीसरे हिस्से में मां विमला और नाभि स्थल में भगवान जगन्नाथ रथ सिंहासन पर विराजमान रहते हैं. समुद्र की ओर पवन पुत्र हनुमान जी इस क्षेत्र की रक्षा करते हैं.

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मंदिर का पताका लहराता है हवा के विपरीत दिशा में

इस मंदिर की खास बात यह है कि इस पर लगा हुआ लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता रहता है. ऐसा किस कारण से होता है यह तो वैज्ञानिक भी ठीक ढंग से नहीं बता पाए हैं. प्रतिदिन शाम के समय ऊपर स्थापित पताका को बदला जाता है. इस ध्वज पर भगवान शिव का चंद्र बना हुआ होता है. 

पक्षी भी नहीं होते हैं गुंबद के ऊपर (Jagannath Puri Temple Interesting Facts)

अगर आप जगन्नाथ पुरी मंदिर जाते हैं तो आप गौर करेंगे कि मंदिर के गुंबद के आसपास कोई भी पक्षी उड़ता हुआ नहीं दिखाई देगा. जबकि देखा गया है कि भारत के अधिकांश मंदिरों के गुंबद पर पक्षी बैठे रहते हैं. मान्यता यह है कि जिस दिन भी पुरी के जगन्नाथ मंदिर पर पक्षी के बैठने की घटना होगी उस दिन से अशुभ समय शुरू हो जाएगा.

विश्व का सबसे बड़ा में रसोईघर इस मंदिर में

इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर दर्शन के लिए आया हुआ भक्त कभी भी खाली पेट नहीं जाता है. जगन्नाथ पुरी मंदिर की रसोई लगभग 20 लाख भक्तों को भोजन करा सकती है. प्रतिदिन यहां 20,000 लोगों के लिए यहां भोजन बनाया जाता है. त्योहार के समय यह संख्या बढ़कर 50,000 तक पहुंच जाती है और किसी-किसी दिन तो लाखों की संख्या में भी लोग  प्रसाद ग्रहण करते हैं. लगभग 500 रसोइए और 300 से अधिक सहयोगी भगवान जगन्नाथ जी का प्रसाद बनाने में सहयोग करते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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