डीएनए हिंदी: सिख धर्म में प्रकाश पर्व (Prakash Parv 2022) का एक विशेष स्थान है. सिख धर्म में कुल 10 गुरु हुए हैं और उन सभी के बाद गुरु ग्रंथ साहिब को अंतिम गुरु माना गया है. सिख गुरुओं के जन्मदिवस को प्रकाश उत्सव के रूप में मनाया जाता है. सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर जी (Guru Tegh Bahadur Jayanti) की जयंती 21 अप्रैल को है. सिख परंपरा के अनुसार प्रकाश पर्व के दिन गुरद्वारे में अरदास, प्रभात फेरी, भजन-कीर्तन, विशेष लंगर का आयोजन किया जाता है. सभी धर्मों के लोग खासकर सिख परिवार के सभी सदस्य गुरुद्वारे में मत्था टेकते हैं और प्रसाद के रूप में लंगर खाते हैं. इस दिन सभी वर्ग के लोग सेवा के लिए बढ़-चढ़कर आगे आते हैं और इसे पुण्य का काम माना जाता है. आइए जानते हैं गुरु तेग बहादुर के प्रकाश पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें.
गुरु तेग बहादुर द्वारा दी गई शिक्षा
गुरु तेग बहादुर जी ने ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) के कई भजन लिखे. उनकी अन्य रचनाओं में 116 शबद, 15 राग और 782 रचनाएँ शामिल हैं जिन्हें पवित्र सिख पुस्तक - ग्रंथ साहिब में भी सम्मिलित किया गया. उन्होंने ईश्वर, मानवीय संबंधों, मानवीय स्थिति, शरीर और मन, भावनाओं, सेवा, मृत्यु और गरिमा जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला के बारे में भी लिखा था.
गुरु तेग बहादुर ने मुगल साम्राज्य के कुछ हिस्सों की यात्रा भी की थी जहां उन्होंने सिख मंदिरों के निर्माण में मदद की.
जानिए प्रकाश पर्व के दिन क्या-क्या होता है
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प्रकाश पर्व के दिन पंज प्यारों के नेतृत्व में प्रभात फेरी का आयोजन किया जाता है. सिख धर्म (Sikh Religion) में इनका स्थान बहुत ऊंचा होता है.
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नगर कीर्तन (Nagar Kirtan) करते हुए प्रभात फेरी गुरुद्वारे पहुंचती है और फेरी में शामिल सभी लोग मत्था टेकते हैं.
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इस दिन सभी गुरुद्वारे सुंदर रूप से सजाए जाते हैं और गुरुवाणी गाई जाती है. साथ ही, गुरु के उपदेशों को दोहराया जाता है.
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प्रकाश पर्व के दिन सिख समुदाय के लोग लंगरों में स्वेच्छा से सेवा करते हैं और जरूरतमंद लोगों की मदद करते हैं.
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