डीएनए हिंदी: Krishna Janmashtami 2022- भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिवस अब कुछ ही दिन बचे हुए हैं. इस वर्ष दो दिन भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी. हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण का जन्मदिवस मनाया जाता है. कई बार ऐसा देखा गया है कि स्मार्त संप्रदाय और वैष्णव संप्रदाय के लोग अलग-अलग दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2022 Date) मनाते हैं और पूजा पाठ करते है. ऐसा क्यों होता है और क्या स्मार्त व वैष्णव संप्रदाय में अंतर आइए जानते हैं.
बता दें कि वेद- ग्रंथों के भी कई भाग हैं. जिन वेदों की रचना भगवान से सुनकर की गई है उन्हें श्रुति ग्रंथ कहा गया है. इन सभी के अतिरिक्त ग्रंथों को स्मृति ग्रंथ के रूप में जाना जाता है. इसी प्रकार जो लोग स्मृति आदि ग्रंथों के अनुयायी हैं उन्हें स्मार्त कहा जाता है और जो भगवान विष्णु (Bhgawan Vishnu) के साथ उनके भिन्न स्वरूपों की आराधना करते हैं उन्हें वैष्णव कहा जाता है.
बता दें कि स्मार्त संप्रदाय के लोग सभी देवी-देवता जैसे भगवान शिव, गणेश, देवी दुर्गा सूर्य देव की उपासना करते हैं और उन्हीं के आधार पर उपवास या पर्व मनाते हैं. वहीं वैष्णव सप्रदाय के लोग केवल भगवान विष्णु और उनके अवतारों पर आधारित उपवास या पर्व रखते हैं.
Krishna Janmashtami 2022: इस साल 2 दिन मनाई जाएगी श्री कृष्ण जन्माष्टमी, जानिए सही तिथि
स्मार्त संप्रदाय और वैष्णव सप्रदाय के लोग अलग-अलग दिन इसलिए जन्माष्टमी मनाते हैं क्योंकि दोनों संप्रदाय के लोग पंचांग में बताए अलग-अलग समय पर इस पर्व को मनाते हैं. स्मार्त संप्रदाय उदया तिथि को इतना महत्व नहीं देते हैं. जबकि वैष्णव संप्रदाय उदयकाल पर निर्धारित समय को मानता है.
जन्माष्टमी पर्व तिथि: 18 अगस्त 2022, गुरुवार
अष्टमी तिथि: 18 अगस्त शाम 09:21 से 19 अगस्त रात 10:59 तक
वृद्धि योग: 17 अगस्त दोपहर 08:56 से अगले दिन रात 08:41 तक
ध्रुव योग: 18 अगस्त रात 08:41 से 19 अगस्त रात 08:59 तक
श्रीकृष्ण पूजा मुहूर्त-18 अगस्त रात्रि 12:20 से 01:05 तक रहेगा
पूजा की अवधि- 45 मिनट
व्रत का पारण समय- 19 अगस्त, रात्रि 10:59 के बाद
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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