डीएनए हिंदी: Niti Shatakam- महर्षि भर्तृहरि को संस्कृत के महान कवियों में गिना जाता है. उन्होंने अपनी ज्ञान रूपी नीतियों से कई ऐसे समस्याओं को हल जिनका समाधान शायद आम व्यक्ति के लिए मुश्किल था. उन्होंने शतकत्रय की रचना की जिसमें नीतिशतक, वैराग्यशतक, शृंगारशतक शामिल है. इन सभी शतक में सांसारिक जीवन के महत्वपूर्ण बातों को संलिप्त किया गया है. नीतिशतकम् (Niti Shatakam of Bhartrihari) के इस भाग में आइए जानते हैं व्यक्ति को जीवन में किन बातों का रखना चाहिए ध्यान.
महर्षि भर्तृहरि अपने इस श्लोक में उत्तम व्यक्ति की विशेषता के विषय में बता रहे हैं कि कैसे कुत्ता किस तरह अपने मालिक को देखकर उसके पैरों में गिर जाता है और अपनी पूंछ हिलाकर, पंजे को आगे बढ़ाकर और भूमि पर लोटकर अपने भूखे होने का संकेत देता है. वहीं दूसरी तरफ हाथी बड़े गंभीर भाव से अपने भोजन की तरफ देखता है और तभी खाना शुरू करता है जब महावत उससे खाना खाने की विनती करता है. इसलिए व्यक्ति को भी थोड़ा स्वाभिमानी होना चाहिए न कि अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी के सामने गिड़गिड़ाना चाहिए.
नीतिशतकम् के इस श्लोक में बताया गया है कि इस अस्थिर संसार में ऐसा कौन सा जीव है जिसका जन्म या मृत्यु न हुआ हो? लेकिन इसी भ्रमणशील संसार में जन्म लेना उसी व्यक्ति का सफल होता है जिसके जन्म से उसके वंश के गौरव में वृद्धि होती है.
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सिंहःशिशुरपि निपतति मदमलिनकपोलभित्तिषु गजेषु।
प्रकृतिरियं सत्ववतां न खलु वयसस्तेजसो हेतुः।।
इस श्लोक में महान कवि भर्तृहरि ने बताया है कि सिंह शिशु रूप में भी गालों पर गंदगी से लिपटे विशालकाय हाथी के सर पर ही वार करता है. यह तेजस्वी जीवों का ही प्रतीक है. इसलिए वीरों की उम्र का असर उनके तेज पर नहीं दिखता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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