Patal Bhuvaneshwar Cave Temple: एक ऐसी गुफा जिसमें छिपा है दुनिया के खत्म होने का रहस्य

| Updated: Apr 05, 2022, 11:47 AM IST

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पाताल भुवनेश्वर मंदिर में छिपे हैं कई रहस्य, आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़े उस रहस्य को जो बताता है दुनिया के खत्म होने का राज़

डीएनए हिंदी: भारत वह देश है जहां कई हर धार्मिक केंद्रों में किसी न किसी रूप में रहस्य छिपे हैं.साथ ही ऐसे कई हिन्दू मंदिर(Hindu Temple) हैं, जिनके रहस्य से कई लोग परिचित नहीं हैं. पातल भुवनेश्वर मंदिर(Patal Bhuvaneshwar Cave Temple) ऐसा ही एक मंदिर है. उत्तराखंड(Uttarakhand) के पिथौरागढ़ में स्थित इस मंदिर में दुनिया के खत्म होने का रहस्य छिपा है. बता दें कि इस मंदिर का उल्लेख पुराणों में भी किया गया है.साथ ही समुद्र तल से 90 फीट नीचे बने इस मंदिर की सुंदरता विश्वभर में प्रसिद्ध है. जानते हैं उस रहस्य के बारे में जो बनाता है इस मंदिर को और भी खास- 

Patal Bhuvneshwar Cave Temple को किसने खोजा? 

माना जाता है कि सूर्य वंश के राजा और त्रेता युग में अयोध्या के शासक ऋतुपर्णा ने इस गुफा की खोज की थी.इसी गुफा में वह नागराज अधिशेष से मिले, जिन्होंने ऋतुपर्णा से गुफा के भीतर साथ चलने की विनती की. गुफा में ऋतुपर्णा को भगवान शिव(Lord Shiva) समेत कई देवी-देवताओं के दर्शन प्राप्त हुए. इसके बाद द्वापर युग में पांडवों ने इस गुफा की खोज की और इसी गुफा के समीप वह भगवान शिव की पूजा करने लगे. कहा यह जाता है कि भुवनेश्वर गुफा में स्वयं महादेव निवास करते हैं. पांडवों के बाद कलियुग में आदिगुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर को आठवीं शताब्दी में खोजा और वहां ताम्बे का शिवलिंग भी स्थापित किया था.

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मंदिर के भीतर छुपा है यह रहस्य 

यह मान्यता है कि पाताल भुवनेश्वर गुफा के भीतर भगवान गणेश(Lord Ganesh) का कटा हुआ सिर स्थापित किया गया था, जिन्हें आदिगणेश भी कहा जाता है. इस गुफा में चार स्तम्भ भी मौजूद हैं, जो चारों युग को दर्शाते हैं.इन चारों स्तम्भों के आकार में अतंर है. सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग के स्तम्भ एक समान हैं, किंतु कलियुग की लम्बाई अधिक है. खास बात यह है कि इस गुफा में स्थापित शिवलिंग का आकार समय-समय पर बढ़ रहा है और मान्यता यह है कि जब यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब इस दुनिया का अंत हो जाएगा. मान्यता यह भी है कि गुफा में केदारनाथ, बद्रीनाथ, अमरनाथ के दर्शन साथ किए जा सकते हैं.

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इस मंदिर में चार द्वार भी हैं जिन्हें रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार के नाम से जाता है. माना यह जाता है कि रावण के मृत्यु के उपरांत पापद्वार बंद हो गया था और कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद रणद्वार बंद हो गया था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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