डीएनए हिंदी: Punarjanam in Hindi- हिन्दू धर्म यह कहावत बहुत प्रचलित है कि संसार में जो भी चीज जन्म लेती है उसका अंत निश्चित है. इसलिए न केवल मनुष्य या पशु-पक्षी देह त्यागते हैं बल्कि देवता भी मृत्यु का सामना करते हैं. लेकिन शास्त्रों में पुनर्जन्म के विषय में भी बड़ी गंभीरता से बताया गया है. पुनर्जन्म(Reincarnation) का अधिक महत्व हिंदू धर्म में बताया गया है जबकि पश्चिमी धर्म इसको अधिक नहीं मानते हैं. आइए जानते हैं पुनर्जन्म होता क्या है और क्या है इसके पीछे छिपा रहस्य.
गीता प्रेस गोरखपुर ने अपनी किताब में लिखा है कि पुनर्जन्म एक ध्रुव सत्य है और इसके साथ कई ऐसी घटनाओं का वर्णन भी किया है जो पुनर्जन्म(Reincarnation) की पुष्टि करती है. मेंटल हेल्थ और साइकोलॉजी का ज्ञान रखने वाले डॉक्टर सतवंत पसरिया ने अपनी एक किताब में 1970 के बाद भारत में हुई 500 से अधिक पुनर्जन्म की घटनाओं का उल्लेख किया है. अमेरिका जैसे बड़े देशों में भी इस पर गहन शोध चल रहा है.
उपनिषद और शास्त्रों के अनुसार आत्मा जब शरीर छोड़ देती है उसके तुरंत बाद ही वह दूसरा शरीर भी धारण कर लेती है. इस घटना की समय अवधि 30 सेकंड होती है. किंतु पुराणों में बताया गया है कि यह समय लंबा भी हो सकता है जैसे 3 दिन, 13 दिन, सवा महीना या 1 साल से ज्यादा का भी समय लग सकता है. इससे ज्यादा जो आत्मा शरीर धारण नहीं कर पाती है वह या तो भूलोक पर मुक्ति के लिए भटकती रहती है या स्वर्ग लोक चली जाती है. इसके अलावा वह पितृलोक में वास करती है या अधोलोक में गिरकर समय बिताती है.
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शास्त्रों में बताया गया कि कर्म और पुनर्जन्म एक दूसरे से संबंधित हैं. कर्मों का फल ही पुनर्जन्म निर्धारित करता है. इस प्रकार पुनर्जन्म के दो उद्देश्य होते हैं पहला कि मनुष्य अपने कर्मों के फल के अनुसार जीवन भोगता है और दूसरा इन कर्मों से अनुभव हासिल करके नए जीवन में सुधार लाता है.
अधिकांश लोग यह सोचते हैं कि पुनर्जन्म के बाद उन्हें कौन सी योनि में जन्म मिलेगा. जन्म को जाति भी कहा जाता है. उदाहरण स्वरूप पुनर्जन्म के बाद वनस्पति जाति, पशु जाति, पक्षी जाति और मनुष्य जाति में व्यक्ति को जन्म मिलता है. कर्म के अनुसार आत्मा को जिसका शरीर प्राप्त होता है वह उसकी जाति कहलाती है. अगर किसी ने बुरे कर्म किए हैं तो यह निर्धारित नहीं है कि उसे किस जाति में पुनर्जन्म मिलेगा या पुनर्जन्म मिलेगा भी या नहीं.
हिंदू धर्म में पुनर्जन्म के 8 कारण बताए गए हैं पहला है भगवान की आज्ञा. फिर इस प्रकार से हैं पुण्य समाप्त हो जाना, पुण्य फल भोगना, पाप का फल भोगना, बदला लेना, बदला चुकाना, अकाल मृत्यु हो जाना या अपूर्ण साधना को पूर्ण करना.
यजुर्वेद के अनुसार शरीर छोड़ने के बाद आत्मा तब ब्रह्मलोक जाती है जब व्यक्ति ने तप या ध्यान करता है. कुछ अच्छे काम करने वाले स्वर्ग लोक जाते हैं. बुरे काम करने वाले लोग अनंत काल तक प्रेत योनि में भटकते रहते हैं और पुनः धरती पर जन्म ले लेते हैं. लेकिन यह जरूरी नहीं है कि उसका जन्म मनुष्य योनि में ही हो.
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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