डीएनए हिंदी: Raksha Bandhan 2022- रक्षाबंधन पर्व के दिन बहने अपने भाइयों को उनके सुखद जीवन के लिए रक्षा सूत्र बांधती हैं. राखी बंधवाते समय भाई अपनी बहनों की सदैव रक्षा करने का वचन देते हैं. रक्षाबंधन के दिन मंत्रोच्चारण के साथ राखी को बांधने की परंपरा है. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो इसे बदल दें और मंत्रों के साथ ही इस पवित्र क्रिया को सफल बनाएं. राखी बांधते समय जिन मंत्रों (Raksha Bandhan Mantra) का उच्चारण किया जाता है उनका बहुत महत्व है. लेकिन क्या आप इनका महत्व जानते हैं अगर नहीं तो आइए जानते हैं.
येन बद्धो बलि राजा,दानवेन्द्रो महाबल: ।
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।।
इस मंत्र का जाप पुरोहित रक्षा सूत्र को बांधते हुए करते हैं जिसका अर्थ है कि महान शक्तिशाली दानवेंद्र को जिस रक्षासूत्र से बांधा गया था. उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांध रहा हूं. यह तुम्हारी रक्षा करेगा. हे रक्षासूत्र! तुम पथभ्रष्ट ना होना. धार्मिक अनुष्ठानों में इस रक्षासूत्र को बांधते समय यह प्रार्थना की जाती है जिस सूत्र पराक्रमी राजा बलि धर्म के लिए प्रतिबद्ध हुए थे तुम भी उसी प्रकार अपने कर्तव्यों के प्रति चलायमान यानि पथभ्रष्ट ना हो.
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रक्षाबंधन के इस मंत्र का उल्लेख वामन पुराण, भविष्य पुराण और विष्णु पुराण में भी मिलता है. मान्यता है कि दानवों का राजा बली बहुत बड़े दानवीर थे. भगवान विष्णु के वामन अवतार और राजा बलि की कथा बहुत प्रचलित है. इसी कड़ी में राजा बलि की विनती पर भगवान विष्णु पाताल में रहने लगे. बैकुंठ धाम में माता लक्ष्मी अकेली हो गईं और उन्हें चिंता सताने लगी. तब माता लक्ष्मी ने भी एक लीला रची और राजा बलि के द्वार पर एक गरीब महिला के रूप में पहुंच गईं. जब राजा बलि ने उन्हें देखा तो गरीब महिला की व्यथा देखकर रहा नहीं गया और उसे को महल में रहने के लिए कहा.
राजा ने गरीब महिला की सेवा अपनी बहन से भी बढ़कर की. तब एक दिन माता लक्ष्मी ने राजा बलि की कलाई पर एक कच्चा धागा रक्षासूत्र के रूप में बांध दिया. वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था. तब राजा ने महिला कहा आपकी जो इच्छा है वो मांगिए. तब माता लक्ष्मी ने अपना वास्तविक रूप दिखाया और भगवान विष्णु को उनके साथ भेजने के लिए कहा. धर्मसूत्र से बंधे राजा बलि ने इस इच्छा को स्वीकार कर लिया और भगवान विष्णु को वापस बैकुंठ जाने दिया. लेकिन अपने भक्त को निराश न करते हुए भगवान श्री हरि चार महीने के लिए पाताल लोक में निवास करते हैं जिसे चतुर्मास के रूप में जाना जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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