Raksha Bandhan 2022: इस खास दिन ही खुलते हैं मंदिर के कपाट, पास की गुफा को कहते हैं 'भालू गुफा'

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 09, 2022, 05:09 PM IST

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Raksha Bandhan 2022: भारत में कई ऐसे अनोखे मंदिर मौजूद हैं जिनके साथ कई रहस्य जुड़े हुए हैं, ऐसा ही एक मंदिर उत्तराखंड में मौजूद है जिसके कपाट साल में Raksha Bandhan के दिन ही खुलते हैं. जानिए क्या है इससे जुड़ी पौराणिक कथा और क्यों है यह मंदिर खास?

डीएनए हिंदी: Raksha Bandhan 2022 Temple- भारत को धार्मिक दृष्टिकोण को सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है. भारत में कई ऐसे अनोखे मंदिर मौजूद हैं जिनके साथ कई रहस्य जुड़े हुए हैं. इनकी कहानी या पूजा-पाठ की परंपरा लाखों की संख्या में भक्तों को अपनी ओर खींच लाता है. भारत के प्राचीन इतिहास (Indian History) में कई ऐसे रोचक तथ्य छिपे हैं जिनसे अधिकांश लोग परिचित नहीं हैं. ऐसे ही कई रोचक तथ्यों को अपने भीतर समेटे हुआ है उत्तराखंड का ये मंदिर (Banshi Narayan Mandir) जिसके कपाट केवल रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2022) के दिन ही खुलता है. आइए जानते हैं क्या है इस मंदिर का इतिहास और कहां है ये मौजूद.

रक्षाबंधन पर ही खुलते हैं इस मंदिर के कपाट (Rakshan Bandhan 2022 Banshi Narayan Mandir)

उत्तराखंड के चमौली (Chamoli) जिले में बंशीनारायण या वंशीनारायण मंदिर मौजूद है. जहां लोग पहाड़ों पर पैदल चलकर पहुंचते हैं. बता दें कि इस मंदिर के कपाट साल में केवल रक्षाबंधन के दिन ही खुलते हैं. यहां महिलाएं या लड़कियां भाइयों को राखी बांधने से पहले पूजा-अर्चना करती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर भगवान श्री हरि ने वामन अवतार से मुक्ति पाने के बाद दर्शन दिया था. तब से देवर्षि नारद यहा भगवान विष्णु की पूजा करते हैं यही कारण है कि साल में केवल एक दिन इस मंदिर के कपाट खोले जाते हैं. 

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मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Banshi Narayan Mandir Interesting Facts)

इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां 10 फुट के भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा मौजूद है जिनकी पूजा राजपूत करते हैं. रक्षाबंधन के दिन यहां एक पूजा का आयोजन किया जाता है. इसके साथ पास ही में एक गुफा मौजूद है जिसे भालू गुफा कहा जाता है. इस गुफा में भगवान के भोग के लिए प्रसाद बनाया जाता है. भगवान श्री कृष्ण को मक्खन का भोग लगाया जाता है जो गांव के हर घर से आता है. इस अद्भुत मंदिर के दर्शन के लिए भक्तों को उर्गम घाटी से 12 किमी पैदल चलकर आना होगा. इस मंदिर के धार्मिक महत्व के कारण यहां बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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