Temple Etiquette : मंदिर में घंटी बजाने से होंगे ये फायदा, इसके पीछे है वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 30, 2022, 07:18 PM IST

सांकेतिक चित्र

मान्यता यह है कि घंटी की ध्वनि से भगवान जागते हैं और प्रार्थना को सुनते हैं, जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण.

डीएनए हिंदी: सनातन धर्म में ध्वनि का बहुत महत्व है इसलिए मंदिरों में या पूजा घर में घंटियां बजाई जाती है. घंटी बजाने की परंपरा बहुत प्राचीन है. मान्यता यह है कि घंटी की ध्वनि से भगवान जागते हैं और प्रार्थना को सुनते हैं. इसके पीछे न केवल धार्मिक मान्यताएं हैं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी घंटी की ध्वनि व्यक्ति के लिए बहुत लाभकारी है. आइए जानते हैं क्यों मंदिरों में बजाई जाती है घंटी और क्या है इसके पीछे छिपा वैज्ञानिक कारण. 

क्या है इसके पीछे छिपा धार्मिक तथ्य

मधुर ध्वनि जैसे शंख, घंटा, डमरू आदि देवताओं को बहुत पसंद है. घंटी के निरंतर ध्वनि से उनमें चेतना जागृत होती है और भगवान हमारी प्रार्थनाओं को ध्यान से सुनते हैं. स्कंद पुराण में बताया गया है कि घंटी की ध्वनि से 'ॐ' की ध्वनि उत्पन्न होती है जो मन-मस्तिष्क के लिए बहुत फायदेमंद होती है. माना जाता है कि ॐ के उच्चारण से भगवान प्रसन्न होते हैं. इसलिए मन्दिरों में घंटी बजाने की परंपरा है. 

Shri Vishnu Chalisa: एकादशी के दिन विष्णु चालीसा के पाठ से प्रसन्न होते हैं श्री हरी

वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या कहता है

घंटी की ध्वनि पर किए गए शोध में वैज्ञानिकों को यह पता चला था कि इसकी आवाज आस-पास तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि काफी दूर तक सुनाई देती है. साथ ही यह वातावरण में कंपन उत्पन्न करता है जिनसे हानिकारक विषाणु, जीवाणु और सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं और वातावरण शुद्ध हो जाता है. वैज्ञानिकों ने यह भी बताया है कि घंटी से निकली ध्वनि 7 सेकंड तक गूंजती है जिसका हमारे शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसकी ध्वनि से शरीर के सातों चक्र कुछ देर के लिए सक्रिय हो जाते हैं और नकारात्मक प्रभाव खत्म हो जाते हैं. साथ ही शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के इन श्लोकों में छिपे हैं जीवन में सफलता के रहस्य

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.