डीएनए हिंदी: Sawan 2022 Shivling Jalabhishek and Mantra- सावन मास में भगवान शिव के जलाभिषेक करने का बहुत पुण्यलाभ होता है. खास कर अगर आप कांवड़ में गंगाजल लेकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं तो इसका अमोघ पुण्य केवल आपको ही नहीं, पूरे परिवार को मिलता है. लेकिन क्या आपको पता है कि कांवड़ में जल भरते समय किन मंत्रों का जाप करना चाहिए. साथ ही कावंड लेकर यात्रा के समय भी इन्हीं मंत्रों का जाप करते रहना चाहिए. श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक जरूर करना चाहिए. इस पवित्र मास में भगवान शिव (Bhagwan Shiv Jalabhishek) की मनोकामना के अनुसार विभिन्न वस्तुओं से अभिषेक करने का विधान है. शिवालय में जाकर शिवलिंग पर अभिषेक करने के पुण्यलाभ अधिक होते हैं.
मान्यता है कि श्रावण मास (Shravan Maas Shivling Puja) में भगवान शिव की विशेष पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है. सावन मास में प्रत्येक सोमवार के दिन भगवान शिव को विधि-विधान से और मंत्रोच्चारण के द्वारा जल अर्पित की जाती है लेकिन क्या आपको पता है कि शिवलिंग का अभिषेक किया क्यों जाता है?
श्रावण मास- क्यों किया जाता है भगवान शिव का जलाभिषेक? (Jalabhishek of Shivling)
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव का जल अथवा दूध से अभिषेक करने से भक्तों को बहुत लाभ होता है. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. धार्मिक कारणोंं से शिवलिंग पर जलाभिषेक के पीछे एक बड़ा कारण ये है कि भगवान शिव ने जब समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पी लिया था तो वह उसकी गर्मी से वह तपने लगे थे. तब उनकी गर्मी को शांत करने के लिए देवाओं ने जल, दूध, विभिन्न फलों और सब्जियों का रस चढ़ाया था. इससे शिवजी की जलन शांत हुई थी.
तभी से शिवलिंग पर जल, दूध आदि चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई थी. इसलिए लोग सावन मास में अपनी कामनाओं के अनुसार भी शिवजी को विभिन्न चीजों से अभिषेक करते हैं. श्रावण मास में भगवान शिव के जलाभिषेक का महत्व बहुत होता है और इसके कई गुणा फल भक्तों को मिलते हैं.
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जलाभिषेक के पीछे छिपा है वैज्ञानिक कारण
भगवान शिव का जलाभिषेक करने के पीछे वैज्ञानिक कारण छिपा हुआ है. माना जाता है कि ज्योतिर्लिंग एक न्यूक्लिअर रिएक्टर्स की तरह रेडियो एक्टिव एनर्जी से भरपूर होता है. इसलिए इसे शांत करने के लिए शिवलिंग पर जल अर्पित किया जाता है.
जलाभिषेक करने का मंत्र (Jalabhishek Mantra)
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
कांंवड़ में जल भरने और यात्रा के दौरान जपते रहें ये मंत्र
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
जय शिव जय शिव ओंकारा
हर-हर महादेव
जय-जय शंकर हर-हर शंकर
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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