डीएनए हिंदी: Sawan kanwar Yatra 2022- सावन के पवित्र महीने में अपने प्रभु महादेव को प्रसन्न करने के लिए लाखों की संख्या में कांवड़िए पात्रों में जलभर के भगवान शिव के पवित्र धाम की और यात्रा पर निकलते हैं. इस पवित्र यात्रा में भक्तजन नंगे पांव सैकड़ों मील यात्रा करते हैं. सावन में सोमवार के दिन मंदिरों में भक्तों की संख्या में कई अधिक गुना बढ़ जाती है. ऐसे में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022 Niyam) के कुछ नियम निर्धारित के गए हैं. जिनकों न मानने से व्यक्ति की पूजा अधूरी रह सकती है.
हिन्दू पंचांग के अनुसार 14 जुलाई से सावन मास शुरू होगा जो 12 अगस्त तक रहेगा. ऐसे में कांवड़ यात्रा शुरू होने की तारीख 14 जुलाई निर्धारित की गई है. मान्यता है कि कांवड़ यानि बांस के दोनों ओर पर दो मटकों में भक्त गंगा जल भरकर सैकड़ों मील का सफर तय करते हैं. फिर भगवान शिव को वह जल श्रद्धापूर्वक अर्पित करते हैं.
जो भी कांवड़िए यात्रा के लिए निकलते हैं वे गेरुआ रंग का वस्त्र धारण करते हैं. इसके साथ वे कमर या गले में अंगोछा पहनते हैं. धूप से बचने के लिए सिर पर अंगोछा या टोपी भी पहन लिया जाता है.
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बता दें कि 3 तरह के कांवड़ यात्रा का आयोजन किया जाता है. एक है खड़ी कांवड़, दूसरी है डाक कांवड़ और तीसरी है झूला कांवड़. इन तीनों की विशेषता यह है कि यात्रा के दौरान जब विश्राम का समय आता है तो कांवड़ को नीचे नहीं रखा जाता है, इसे खड़ी कांवड़ यात्रा कहा गया है. डाक कांवड़ यात्रा में भक्त एक निश्चित समय में पूरी यात्रा तय करते हैं. जैसे 12, 18 या 20 घंटे. इस दौरान यदि कांवड़ किसी कारण से गिर जाता है या टूट जाता है तो उसकी यात्रा भंग हो जाती है. झूला यात्रा में कांवड़ को किसी शुद्ध मेज पर रखकर आराम किया जा सकता है. लेकिन नियम यह है कि आराम और भोजन के बाद व्यक्ति को फिर से शुद्ध होना पड़ता है.
यात्रा के दौरान भक्तों को मांस, मछली, मदिरा आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि इस यात्रा को नंगे पांव किया जाना चाहिए. साथ ही सिर के ऊपर से कांवड़ को नहीं ले जाना चाहिए. जमीन पर कांवड़ को भूलकर भी ना रखें.
Sawan Kanwar Yatra 2022: जानिए यात्रा के नियम, महत्व और इसके पीछे की पौराणिक कथा
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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