डीएनए हिंदी: सनातन धर्म में शनि देव को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. वह इसलिए क्योंकि शनि देव ( Shani Dev Puja Upay ) कर्म के अनुसार लोगों को फल प्रदान करते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार शनि देव माता छाया और भगवान सूर्य के पुत्र हैं और इन्हें महादेव का आशीर्वाद भी प्राप्त है. यही कारण है कि हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को शनिवार के दिन शनिदेव की आराधना करनी चाहिए. ऐसा करना इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि भगवान शनि के आशीर्वाद से कई प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं. मान्यता यह है कि स्वभाव से शनि देव अत्यंत सरल किंतु व्यवहार से क्रोधी हैं इसलिए इन्हें प्रसन्न रखना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. अगर शनिदेव ( Shani Dev ) किसी व्यक्ति से क्रोधित हो जाते हैं तो उसके जीवन में बुरा समय आना तय माना जाता है. इसलिए इनकी पूजा करते समय इन गलतियों को न दोहराएं.
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पूजा करते वक्त भगवान शनि से आपकी आंखें नहीं मिलनी चाहिए. उनकी कुदृष्टि से बचने के लिए यह उपाय जरूरी है. इसलिए पूजा के समय शनिदेव के चरणों की ओर देखें.
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पूजा के समय लाल रंग के वस्तु का प्रयोग किसी भी रूप में न करें. लाल रंग शनि देव को क्रोधित कर सकता है. मन्यता यह भी है कि सूर्य और मंगल दोनों ही शनिदेव के दुश्मन हैं. सूर्यदेव का रंग लाल होने का कारण इस रंग से बचना चाहिए.
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लाल रंग की जगह काला और नीला रंग प्रयोग करें. वह इसलिए क्योंकि यह दोनों रंग शनि देव के प्रिय है. इन रंगों के अतिरिक्त लाल, पीले और सफेद फूल न चढ़ाएं.
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पूजा करते समय यह ध्यान रखें कि आपका मुंह पश्चिम दिशा की ओर हो. अन्य दिशा में मुंह होने से शनिदेव रुष्ट हो जाते हैं.
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शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद करनी चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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