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Sunasir Nath Mandir: हुए मुगलों के कई हमले पर कोई जीत नहीं पाया यहां महादेव को

Sunasir Nath Mandir: उत्तर प्रदेश में मौजूद इस शिव मंदिर को छोटा काशी विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है.

Sunasir Nath Mandir: हुए मुगलों के कई हमले पर कोई जीत नहीं पाया यहां महादेव को
सुनासीर नाथ मंदिर

डीएनए हिंदी: Sunasir Nath Mandir- श्रावण के पवित्र महीने में देशभर के शिवालयों में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ती है. सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित है के कारण भगवान शिव के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. बता दे की देश के कई हिस्सों में भगवान शिव के कई प्रमुख मंदिर मौजूद हैं जहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं. आज हम ऐसे ही मंदिर की करेंगे जहां भगवान शिव मुगलों के कई आक्रमणों के बाद भी शान से विराजमान हैं. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में मौजूद सुनासीर नाथ मंदिर की जो दो सौ से अधिक सालों से यहां विराजमान हैं. इस प्रसिद्ध शिव मंदिर (Sunasir Nath Temple) को छोटा काशी विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है. प्राचीन काल से आस्था के केंद्र रहे इस मंदिर पर सोलहवीं शताब्दी में औरंगजेब से कई आक्रमण किए लेकिन इस मंदिर पर वह विजय नहीं हासिल कर पाया. आइए जानते हैं इस मंदिर के इतिहास और इस धाम के महत्व के विषय में. 

सुनासीर नाथ मंदिर का चमत्कारी इतिहास (Sunasir Nath Mandir History)

सोलवी शताब्दी में जब मुगल शासक औरंजेब (Mughal Aurangzeb) देशभर के हिन्दू मंदिरों के धवस्तिकरण के अभियान में जुटा हुआ था. तब वह अपनी फौज के साथ मंदिरों को लुटता और तोड़ता हुआ तराई क्षेत्र में पहुंचा. बताया जाता है कि इस मंदिर को सोने के कई आभूषणों से सजाया गया था. जिस वजह से मुगल शासक ने इस मंदिर को भी लूटने की योजना बनाई. 

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किन्तु मुगलों के सामने गौराखेड़ा के शूरवीर चट्टान की खड़े थे. दोनों सेनाओं के बीच भीषण युद्ध हुआ. इस युद्ध में गौराखेड़ा के कई वीर भी वीरगति को प्राप्त हुए. लेकिन मुगलों की विशाल फौज के सामने इनके सभी संसाधन कम पड़ रहे थे जिस वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. कई धर्माधिकारी और गोस्वामियों ने इसका विरोध किया और युद्ध किया. लेकिन वे भी नहीं जीत हासिल कर पाए. जिसके बाद सुनासीर नाथ मंदिर को लूटने का अभियान शुरू हुआ. 

शिवलिंग से निकली दूध की धारा (Sunasir Nath Mandir Story)

मंदिर से सभी स्वर्णजड़ित चीजों को लूटने के बाद शासक ने मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया. मंदिर तो ध्वस्त हो गया मगर शिवलिंग पर एक खरोंच तक नहीं आई. इस बात से तिलमिलाए औरंगजेब ने को खोदने का आदेश दिया लेकिन वह इसमें भी सफल नहीं हो पाए. किवदंतियों के अनुसार जब सैनिकों ने शिवलिंग को बीच से चीरना शुरू किया तब वहां से दूध की धारा निकलने लगी. भगवान महादेव के आशीर्वाद से प्रकट हुए अनगिनत ततैये और बर्रैयों ने मुगल सैनिकों पर हमला बोल दिया और वहां से सैनिकों को भागने पर मजबूर कर दिया. यही कारण है कि तब से शुक्लापुर गांव को सुकरौला के नाम से जाना जाने लगा. तब से लेकर अब तक सावन (Sawan Month 2022) के पवित्र महीने में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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