Shiv Puja : भोलेनाथ के दर्शन से पहले क्यों किया जाता है भगवान Nandi को प्रणाम, जानिए

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 17, 2022, 02:18 PM IST

सांकेतिक चित्र

Lord Shiva के दर्शन से पहले भक्त Nandi देव के सामने नतमस्तक होते हैं और उनके कान में अपनी मनोकामना बताते हैं.

डीएनए हिंदी: सनातन धर्म में भगवान शिव के अति प्रिय भक्त और उनके वाहन नंदी देव ( Lord Nandi ) को बहुत पूजनीय माना गया है. नंदी देव को भगवान भोलेनाथ के द्वारपाल के रूप में भी जाना जाता है. यही कारण है कि मंदिरों में भगवान शिव के दर्शन से पहले भक्त नंदी देव के सामने नतमस्तक होते हैं और उनके कान में अपनी मनोकामना बताते हैं. आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे की कहानी?

भगवान शिव के प्रिय गण ( Lord Nandi ) बनने पीछे की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार शिलाद ऋषि ने नंदी को भगवान शिव की कठिन तपस्या करने के बाद पुत्र के रूप में पाया था. शिलाद ऋषि ने नंदी को संपूर्ण वेदों का ज्ञान प्रदान किया. इस बीच एक दिन आश्रम में दो दिव्य ऋषि आए, नंदी ने उनकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी. इससे ऋषि बहुत प्रसन्न हुए लेकिन उन्होंने लंबी उम्र का वरदान शिलाद ऋषि को दिया लेकिन नंदी को किसी प्रकार का वरदान नहीं दिया. जब पिता ने इसका कारण जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि नंदी अल्पायु है. यह सुनकर वह चिंतित हो गए. जब नंदी ने पिता को चिंता में देखा तो उन्होंने इस चिंता का कारण पूछा. तब शिलाद ऋषि ने दिव्य ऋषियों द्वारा बताई बात का जिक्र नंदी से किया. इस पर नंदी हंसने लगे और बोले भगवान शिव मेरी रक्षा करेंगे. 

इसके बाद नंदी ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की. तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ  प्रकट हुए और नंदी को उम्रभर अपने सानिध्य में रहने का आशीर्वाद दिया. भगवान नंदी के समर्पण से इतना प्रसन्न हुए कि उन्हें बैल का चेहरा देकर अपना वाहन बना लिया और अपने गण में शामिल कर लिया. तब से लेकर अबतक भगवान शिव के साथ उनका प्रिय गण नंदी भी हर जगह साथ दिखाई देता है. 

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सभी भक्तों में हैं सबसे प्रिय नंदी ( Lord Nandi )

समुद्र मंथन के समय जब भगवान शिव ने हलाहल विषपान किया था और संसार को बचाया था तब उसकी कुछ बूंदे जमीन पर गिर गई थीं. अपने स्वामी को विश पीता देख नंदी देव ने भी उस गिरे हुए विश को जीभ से चाट लिया था. उनके इसी भक्ति भाव को देखकर भगवान शिव ने अपने सबसे बड़े भक्त की उपाधि उनको दी और ये आशीर्वाद भी दिया कि उनके दर्शन से पहले भक्त नंदी के दर्शन करेंगे. यही कारण है कि नंदी को भगवान शिव का द्वारपाल भी कहा जाता है. नंदी भगवान शिव के भक्तों की परीक्षा लेते हैं और भक्तों द्वारा बताई गई मनोकामना को भगवान शिव तक पहुंचाते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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