Chhath Puja: छठी मैय्या से मांगी जाती हैं बेटियां, दामाद के लिए भी की जाती है प्रार्थना, क्या है वजह?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 29, 2022, 05:03 PM IST

chhath Puja 2022

कोई व्रत बेटे के जन्म के लिए रखा जाता है कोई उसकी लंबी उम्र के लिए, मगर छठ का व्रत रखने वाली मांएं बेटी और दामाद के लिए दुआ करती हैं. जानिए इसकी कहानी

डीएनए हिंदी: दिवाली के बाद इन दिनों हर तरफ छठ पर्व की धूम है. ये पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है. इस पर्व पर छठी मैया की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि यह सबसे प्राचीन त्योहारों में से एक है. कहा जाता है कि एक बार अगर आप छठ पूजा मनाना  शुरू कर देते हैं तो हर साल परिवार को इसे करना पड़ता है. साथ ही  (interesting facts related to chhath puja) आगे आने वाली हर पीढ़ी को इस रिवाज को मनाना पड़ता है. 

केवल कुछ परिस्थितियों में छठ ना करने की छूट है अगर व्रत रखने वाली महिला गंभीर रूप से बीमार हो या परिवार में छठ पूजा की तिथि के आसपास किसी की अचानक मृत्यु हो जाए. इस सबके अलावा क्या आप जानते हैं कि छठ पूजा में व्रत रखने वाले या शामिल होने वाले परिवार छठी मैय्या से बेटी और दामाद की कामना करते हैं. जानिए इससे जुड़ी रोचक कथा-

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संतान की लंबी उम्र के लिए दुआ
चार दिन तक चलने वाले छठ पर्व के नियम काफी सख्त होते हैं. इस दौरान सूर्यास्त और सूर्योदय दोनों समय कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. 36 घंटे तक निर्जल व्रत किया जाता है. इस व्रत में खास तौर पर सूर्य देव की पूजा की जाती है. सूर्य देव को निरोगी काया देने वाले भगवान के रूप में माना जाता है. इसी कड़ी में छठ पर्व के दौरान अपने परिवार और सतांन की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. माना जाता है कि भगवान सूर्य की पूजा करने से घर-परिवार से रोग दूर होते हैं और बच्चे की सेहत अच्छी रहती है. 

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छठी मैय्या से मांगी जाती हैं बेटियां
छठ पर्व से जुड़े कई ऐसे लोकगीत हैं जिनके सार निकालें को समझ आता है कि इनमें छठी मैय्या से बेटी मांगने के लिए प्रार्थना की जा रही है. ऐसा ही एक लोकगीत है-रुनकी झुनकी बेटी मांगीला, पढ़ल पंडितवा दामाद ए छठी मइया. इसका मतलब है कि हे छठी मैय्या हमें घर के आंगन में रौनक रखने वाली बेटी और पढ़ा-लिखा दामाद देना. इसके पीछे एक लोककथा यह भी कही जाती है कि छठ के व्रत को पहली बार सतयुग में राजा शर्याति की बेटी सुकन्या ने रखा था. तभी इस व्रत में बेटियों की कामना की जाती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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