Interesting Mythological Story: पृथ्वी पर कैसे अवतरित हुई देव नदी गंगा

Written By अनुराग अन्वेषी | Updated: Jul 09, 2024, 02:43 PM IST

भगीरथ प्रयास के बाद भागीरथी धरती पर आई.

Mythological Story: गंगा जल से मुक्ति मिलने के संबंध में राजा सगर की कथा भी धर्म शास्त्रों में बताई गई है. राजा सगर के 60 हजार पुत्रों की मौत कपिल मुनि के शाप से हो गई थी. इन मृतकों की मुक्ति के लिए ही उनके वंशज भगीरथ ने कठोर तपस्या की. भगीरथ के तप से प्रसन्न हो गंगा ने धरती पर आने की याचना मान ली.

गरुड़ पुराण समेत वेदों में गंगा को देव नदी और स्वर्ग की नदी बताया गया है. फिर सवाल है कि गंगा पृथ्वी पर कैसे आई. पृथ्वी पर उसे मोक्षदायिनी क्यों कहा गया. गंगा के पृथ्वी पर आने की वजह क्या रही - ये सारे सवाल ऐसे हैं जो कई लोगों के मन में उठते होंगे.

दरअसल, गंगा के स्पर्श से मुक्ति मिलती है. शास्त्रों में बताया गया है कि गंगातट पर शरीर त्यागने वाले को यमदंड का सामना नहीं करना पड़ता है. इसलिए गंगा को सर्वोच्च माना गया है और उसे मोक्षदायिनी भी कहा गया है.


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गंगा जल से मुक्ति मिलने के संबंध में राजा सगर की कथा भी धर्म शास्त्रों में बताई गई है. राजा सगर के 60 हजार पुत्रों की मौत कपिल मुनि के शाप से हो गई थी. इन मृतकों की मुक्ति के लिए ही उनके वंशज भगीरथ ने कठोर तपस्या की. भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा ने धरती पर आने की याचना मान ली. लेकिन उसने भगीरथ को बताया कि उसके वेग को पृथ्वी सहन नहीं कर पाएगी और रसातल में चली जाएगी. तब भगीरथ ब्रह्मा जी के पास अपनी इस समस्या को लेकर पहुंचे. ब्रह्मा जी ने इसके लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने का सुझाव दिया. 


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शिव ने जटा में समेट लिया वेगवती गंगा को

तब भगीरथ ने शिव भगवान के लिए तपस्या की और उन्हें प्रसन्न कर गंगा का बोझ वहन करने की याचना की. तब शिव ने अपनी जटा खोल दी और गंगा के वेग को संभाल लिया. इस तरह भगीरथ के प्रयास से गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई. भगीरथ की इसी मेहनत के कारण गंगा को भागीरथी भी कहते हैं. इसके बाद गंगा के स्पर्श से ही सगर के सभी पुत्रों को मुक्ति मिली.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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