Krishna Janmabhoomi Shahi Eidgah Case: जानें मथुरा के केशव देव मंदिर का पौराणिक इतिहास

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 15, 2023, 04:59 PM IST

कृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद केस

Krishna Janmabhoomi: ओरछा के शासक राजा वीर सिंह जूदेव ने पहले के मुकाबले और भी भव्य मंदिर का निर्माण करवाया. इस बारे में कहा जाता है कि यह इतना ऊंचा है कि आगरा से दिखाई देता है. बाद में मुस्लिम शासकों ने 1669 में इसे नष्ट कर जन्मभूमि के आधे हिस्से पर एक भव्य ईदगाह बनवा दी जो आज भी यहां विद्यमान है.

डीएनए हिंदी : क्या आप मथुरा के केशव देव मंदिर के बारे में कुछ जानते हैं. अरे वही मंदिर जिसे लेकर इन दिनों केस चल रहा है और मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. आज ही सुप्रीम कोर्ट ने कृष्‍ण जन्‍मभूमि और शाही ईदगाह (Mathura Janmabhoomi Shahi Eidgah Case) परिसर के सर्वे पर रोक लगाने से इनकार किया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कल यानी गुरुवार को कृष्‍ण जन्‍मभूमि और शाही ईदगाह परिसर के सर्वे को अनुमति दी थी. इस फैसले के खिलाफ ईदगाह कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट ने अपील की थी.
इसी केशव देव मंदिर के बारे में पौराणिक कथाएं कहती हैं कि श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वृजनाभ ने उनकी स्मृति में इसकी स्थापना की थी. इस बारे में महाक्षत्रप सौदास के समय का एक शिलालेख है. इस शिलालेख से पता चलता है कि किसी वस्तु नामक व्यक्ति ने इस मंदिर को बनवाया था. 
इस केशव देव मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि काल के थपेड़ों ने इसकी स्थिति खराब कर दी थी. तब लगभग 400 वर्ष बाद गुप्त सम्राट विक्रमादित्य ने उसी स्थान पर इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया था. इस बात की चर्चा भारत यात्रा पर आए चीनी यात्रियों फाह्यान और ह्वेन त्सांग ने भी किया है.

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इतिहासकार बताते हैं कि 1017-1018 में महमूद गजनबी ने मथुरा के सारे मंदिर ध्वस्त कर दिए थे. उसके लौटने के बाद इन मंदिरों को दोबारा बनवाया गया. बाद में महाराजा विजयपाल जी के शासन में 1185 ई में जज्ज नाम के किसी व्यक्ति ने इसे बनवाया. बताया जाता है कि मंदिर पहले और भी विशाल था जिसे सिकंदर लोदी ने पूरी तरह से नष्ट करवा डाला था.

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ओरछा के शासक राजा वीर सिंह जूदेव ने पहले के मुकाबले और भी भव्य मंदिर का निर्माण करवाया. इस बारे में कहा जाता है कि यह इतना ऊंचा है कि आगरा से दिखाई देता है. बाद में मुस्लिम शासकों ने 1669 में इस मंदिर को नष्ट कर इसकी सामग्री से जन्मभूमि के आधे हिस्से पर एक भव्य ईदगाह बनवा दी जो आज भी यहां विद्यमान है.

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