Chardham Yatra 2022: केदारनाथ-बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तारीख तय, जानिए कब तक खुले रहेंगे चारों धाम

कुलदीप पंवार | Updated:Oct 05, 2022, 07:45 PM IST

Chardham Yatra updates: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के साथ ही मदमहेश्वर व तुंगनाथ धाम के कपाट बंद होने की भी तिथि विधि-विधान के तहत तय हो गई है.

डीएनए हिंदी: शीतकाल शुरू होने से पहले चारधाम यात्रा (Char Dham Yatra) का आखिरी पड़ाव आ गया है. उत्तराखंड में मौजूद केदारनाथ (Kedarnath Dham), बदरीनाथ (Badrinath Dham), गंगोत्री (Gangotri Dham) और यमुनोत्री धाम (Yamunotri Dham) के कपाट शीतकाल के लिए किन तारीखों को बंद ((Char Dham Yatra Closed Date) होंगे, इसकी घोषणा बुधवार को कर दी गई है. चारों धाम में सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद होंगे, जिसकी प्रक्रिया मंत्रोच्चार के बीच 26 अक्टूबर को पूरी की जाएगी. इसके बाद अन्य सभी धाम के कपाट बंद किए जाएंगे. इस दौरान परंपरागत मेले भी आयोजित किए जाएंगे, जिनकी तारीखें भी घोषित कर दी गई हैं. शीतकाल के दौरान चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन पोर्टल भी बंद कर दिया जाएगा, जो अगले साल अप्रैल-मई में यात्रा प्रारंभ होने से पहले दोबारा शुरू होगा.

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गंगोत्री धाम के कपाट दोपहर 12 बजे होंगे बंद

26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा के दिन गंगोत्री धाम के कपाट दोपहर 12 बजकर 1 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे. इसके साथ ही मां गंगा की डोली मंत्रोच्चार के साथ शीतकालीन प्रवास के लिए मुखवा स्थित गंगा मंदिर के लिए रवाना कर दी जाएगी, जहां वो अगले साल दोबारा चार धाम यात्रा शुरू होने तक प्रवास करेंगी. गंगोत्री धाम से मुखवा तक की यात्रा के दौरान डोली को रात्रि प्रवास के लिए भैरवघाटी स्थित भैरव मंदिर में विश्राम कराया जाता है.

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27 अक्टूबर को ऊखीमठ के लिए रवाना होंगे बाबा केदारनाथ

बाबा केदारनाथ शीतकालीन प्रवास ऊखीमठ (Ukhimath) के ओंकारेश्वर मंदिर में करते हैं. बुधवार को विजयदशमी पर्व के दिन पंचांग गणना के साथ उनके शीतकालीन प्रवास की तिथि घोषित कर दी गई. केदारनाथ धाम से मंत्रोच्चार के बीच 11वें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ की डोली 27 अक्टूबर को भैयादूज पर्व के दिन तुला लग्न में सुबह 8 बजे ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना होगी. यह डोली दो दिन रात्रि प्रवास करते हुए 29 अक्टूबर को ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी.

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यमुनोत्री के कपाट भी 27 अक्टूबर को ही होंगे बंद

यमुनोत्री धाम में विराजमान मां यमुना भी 27 अक्टूबर को भैयादूज के दिन ही अपने शीतकालीन प्रवास पर रवाना होंगी. उनकी विग्रह डोली 27 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त में मंत्रोच्चार के बीच यमुनोत्री धाम के कपाट बंद करते हुए उठाई जाएगी. यह डोली खरसाली गांव के लिए रवाना होगी, जहां वे अगले साल कपाट खुलने तक दर्शन देंगी.

श्रीबदरीनाथ के कपाट होंगे सबसे आखिर में बंद

चारों धाम में सबसे आखिर में श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे. बुधवार को धाम में रावल की मौजूदगी में धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने कपाट बंद होने का मुहूर्त तय किया. बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को दोपहर 3.55 बजे मंत्रोच्चार के बीच बंद किए जाएंगे. इसके बाद भगवान बद्रीविशाल के विग्रह को चमोली जिले के ही जोशीमठ स्थित पांडुकेश्वर लाया जाएगा, जहां वे शीतकाल के 6 महीने तक विश्राम करेंगे. 

मदमहेश्वर और तुंगनाथ के कपाट बंद होने की तारीख भी घोषित

पंचकेदार में से एक द्वितीय केदार मदमहेश्वर धाम के कपाट 18 नवंबर को बंद किए जाएंगे. उनके श्रीविग्रह को भी ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में ही शीतकालीन प्रवास के लिए लाया जाएगा. इस दौरान 21 नवंबर को ऊखीमठ में परंपरागत मदमहेश्वर मेला भी आयोजित किया जाएगा.

तृतीय केदार के नाम से विख्यात व दुनिया के सबसे ऊंचे शिवलिंग तुंगनाथ धाम के कपाट 7 नवंबर को बंद कर दिए जाएंगे. उनकी डोली मक्कूमठ स्थित मार्कण्डेय मंदिर के लिए रवाना होगी, जहां वे शीतकाल के दौरान रहेंगे. 

क्यों किए जाते हैं शीतकाल में कपाट बंद

शीतकाल में चारों धाम के कपाट बंद करने के पीछे जहां एकतरफ भारी बर्फबारी के कारण रास्ते बंद हो जाना कारण है, वहीं धार्मिक मान्यता के चलते भी कपाट बंद किए जाते हैं. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, शीतकाल में कपाट बंद होने पर स्वर्ग से देवता पृथ्वी पर आते हैं और केदारनाथ व बदरीनाथ में पूजन करते हैं. इस दौरान आम मानव भी दर्शन कर सकें, इसी कारण उनके विग्रह शीतकालीन प्रवास के लिए दूसरे मंदिरों में लाए जाते हैं. 

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