महाभारत के युद्ध में कौरवों और पांडवों की सेनाओं की कुल संख्या 18 अक्षौहिणी थी. कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी और पांडवों के पास 7 अक्षौहिणी. लेकिन आज की तारीख में यह बात साफ नहीं हो पाती कि 1 अक्षौहिणी में कितने सैनिक होते हैं. जैसे आज हम इकाई, दहाई, सैकड़ा... काउंट करते हैं, वैसे ही प्राचीन भारत में सेना का एक माप हुआ करता था - पत्ति, सेनामुख, गुल्म, गण, वाहिनी, पृतना, चमू, अनीकिनी और अक्षौहिणी. यानी सबसे बड़ी संख्या अक्षौहिणी कहलाती थी.
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इस तरह एक अक्षौहिणी सेना चार पार्ट में बंटी होती थी, जिसमें हाथी पर सवार सैनिक, रथसवार सैनिक, घुड़सवार सैनिक और पैदल सैनिक होते थे. एक अक्षौहिणी सेना में हाथियों की संख्या 21 हजार 870 होती थी, रथसवार सैनिक भी 21 हजार 870 होते थे, घुड़सवार सैनिकों की संख्या 65 हजार 610 होती थी जबकि पैदल सिपाही 1 लाख 9 हजार 350 होते थे. इस तरह एक अक्षौहिणी सेना में कुल 2 लाख 18 हजार 700 सैनिक होते थे.
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अब इस लिहाज से देखें तो पांडवों के पास 7 अक्षौहिणी सेना में कुल 15 लाख 30 हजार 900 सैनिक थे. इनमें रथ पर सवार सैनिकों की संख्या 1 लाख 53 हजार 90 थी, हाथी पर सवार सैनिकों की संख्या भी 1 लाख 53 हजार 90 थी, जबकि घुड़सवार सैनिक 4 लाख 59 हजार 270 थे और पैदल सैनिकों की संख्या 7 लाख 65 हजार 450 थी. इसी तरह कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी सेना में कुल 2 करोड़ 4 लाख 5 हजार 700 सैनिक थे, इसमें रथ पर सवार सैनिकों की संख्या 2 लाख 40 हजार 570 थी, हाथी पर सवार सैनिक भी 2 लाख 40 हजार 570 थे, जबकि घुड़सवार सैनिक 7 लाख 21 हजार 710 थे और पैदल सैनिकों की संख्या 12 लाख 2 हजार 850 थी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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