Mahabharata Secret Revealed: भीष्म के घायल हो जाने के बाद ही युद्धभूमि में उतरा कर्ण, ये थी वजह

Written By अनुराग अन्वेषी | Updated: Jul 05, 2024, 11:59 AM IST

महाभारत युद्ध में पांडवों से युद्ध करते कर्ण.

Mahabharata Trivia Revealed: एक रोचक प्रसंग यह भी है कि वह महाभारत युद्ध में तब तक शामिल नहीं हुआ, जब तक भीष्म पितामह युद्धभूमि में रहे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कर्ण ने ऐसा क्यों किया? भीष्म और कर्ण के बीच खिंचाव का बिंदु कौन सा था, जानें इस कहानी में.

अपने पूरे जीवन में उपेक्षाओं का दंश झेलता रहा है दानवीर कर्ण. सूत पूत कहलाए जाने से लेकर अपने भाइयों के खिलाफ ही युद्ध में खड़ा होना कर्ण की विडंबना रही. यह जानते हुए भी कि जन्म से ही उसके शरीर में सुशोभित जो कवच-कुंडल उसकी सुरक्षा कवच हैं, उसने उसे दान कर दिया. इस विलक्षण शख्स को लेकर महाभारत में कई रोचक प्रसंग हैं. 

एक रोचक प्रसंग यह भी है कि वह महाभारत युद्ध में तब तक शामिल नहीं हुआ, जब तक भीष्म पितामह युद्धभूमि में रहे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कर्ण ने ऐसा क्यों किया? भीष्म पितामह और कर्ण के बीच खिंचाव का वह बिंदु कौन सा था, क्यों कर्ण ने दुर्योधन से मित्रता निभाते हुए भी युद्ध में उतरना उचित नहीं समझा. कर्ण सिर्फ दानवीर ही नहीं था, वह वचन वीर भी था. महाभारत में अपने वचन पर अडिग रहने वाले कर्ण का यह रोचक प्रसंग देखें. 

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महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले जब महाराजा धृतराष्ट्र अपने पुत्र दुर्योधन को समझा रहे थे, तब कर्ण भरी सभा में बढ़-चढ़कर बातें कह रहे थे. ऐसे समय में भीष्म पितामह ने उन्हें फटकार दिया था. तब भीष्म पितामह से आहत कर्ण ने क्रोध में कहा कि जब आपका अंत हो जाएगा, तब मैं युद्ध में आकर पांडवों का नाश कर दूंगा. अपनी इसी बात पर टिके रहने की वजह से कर्ण युद्ध में 10वें दिन के बाद आए. द्रोणाचार्य की अगुवाई वाली सेना में उसने युद्ध किया. पर महाभारत युद्ध के 15वें दिन गुरुद्रोण का वध धृष्टद्युम्न ने छल से कर दिया. इसके बाद कौरव सेना का प्रतिनिधित्व कर्ण को सौंपा गया. युद्ध के 17वें दिन कर्ण ने युधिष्ठिर और भीम को पराजित कर दिया, पर अपनी मां कुंती को दिए वचन की वजह से कर्ण ने उनका वध नहीं किया. और फिर वे अर्जुन से युद्ध करने लगे. अर्जुन से युद्ध के दौरान उनके रथ का पहिया महाभारत युद्ध के दौरान बहे खून से बने कीचड़ में फंस गया. वे उसे निकालने के लिए रथ से उतर पड़े. कर्ण अपने रथ का पहिया निकाल ही रहे थे कि अर्जुन ने  अपने दिव्यास्त्र से कर्ण का वध कर दिया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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