पांचाल देश के राजा द्रुपद के मन में द्रोणाचार्य को लेकर इतना विष था कि उन्होंने बदला लेने के लिए यज्ञ कर अग्निकुंड से धृष्टद्युम्न नाम का पुत्र पैदा किया. इसी धृष्टद्युम्न ने द्रोणाचार्य की हत्या तब की जब वे महाभारत की युद्धभूमि में शोकग्रस्त हो शस्त्र रख दिए थे. लेकिन असल सवाल है कि इस बदले के पीछे कारण क्या था?
दरअसल द्रोणाचार्य और द्रुपद बचपन के मित्र थे. एक दिन जब द्रोणाचार्य राजा द्रुपद से मिलने गए तो द्रुपद ने उनका बहुत अपमान किया. अपने अपमान से आहत होकर द्रोणाचार्य हस्तिनापुर आ गए. यहां भीष्म के कहने पर उन्होंने पांडव और कौरवों को अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया और गुरुदक्षिणा के रूप में राजा द्रुपद को बंदी बनाकर लाने को कहा. कौरव इस काम में असफल हुए, पर पांडव अपने पराक्रम से राजा द्रुपद को बंदी बना लाए. साथ ही पांचाल पर भी अधिकार क्षेत्र में ले लिया. इस तरह द्रोणाचार्य ने अपने अपमान का बदला लिया.
इस बात के बाद द्रुपद ने द्रोणाचार्य से बदला लेने की ठान ली. वे द्रोणाचार्य से बदला लेने के लिए श्रेष्ठ संतान की चाह से कई विद्वान और संतों के पास गए. लेकिन किसी ने भी उनकी इच्छा पूरी नहीं की. तब एक दिन द्रुपद कल्माषी नगर गए. वहां ब्राह्मण बस्ती में कश्यप गोत्र के दो ब्राह्मण याज और उपयाज रहते थे.
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द्रुपद सबसे पहले महात्मा उपयाज के पास गए और उनसे यज्ञ कराने की प्रार्थना की. पर यज्ञ करवाने की चाह का कारण जानने के बाद उपयाज ने मना कर दिया. तब द्रुपद महात्मा याज के पास पहुंचे और कहा कि यज्ञ करवाने पर मैं आपको एक दस करोड़ गाएं दूंगा. तब महात्मा याज ने द्रुपद की प्रार्थना मान ली और यज्ञ करवाना स्वीकार कर लिया.
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महात्मा याज के करवाए यज्ञ के हवनकुण्ड से एक दिव्य कुमार प्रकट हुआ. वह मुकुटधारी था, उसके शरीर पर कवच और हाथों में धनुष-बाण थे. इसके प्रकट होते ही आकाशवाणी हुई कि इस पुत्र के जन्म से द्रुपद का सारा शोक मिट जाएगा. यह कुमार द्रोणाचार्य को मारने के लिए ही पैदा हुआ है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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