डीएनए हिंदी : महाभारत का युद्ध पूरे 18 दिन चला था. इस युद्ध में कई शूरवीर और लाखों योद्धाओं की मौत हुई थी. महाभारत युद्ध से जुड़ी कई रोचक मान्यताएं लोक में मशहूर हैं. इनके रहस्य आज भी अनसुलझे हैं. ऐसी ही एक मान्यता है कि 18वें दिन युद्ध के खत्म होते ही अर्जुन का रथ धू-धू कर जलने लगा था.
इस रथ के जलने की वजह श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताई थी. युद्ध के दौरान इस रथ पर सारथी बने भगवान श्रीकृष्ण और योद्धा के रूप में धनुर्धर अर्जुन के अलावा भी दो लोग सवार थे. कृष्ण के आग्रह पर अर्जुन के रथ के शीर्ष पर ध्वजा रूप में हनुमान जी विराजमान थे. साथ ही रथ के पहियों को स्वयं शेषनाग ने थाम रखा था. भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि यह युद्ध भयानक होने वाला है. इसलिए अर्जुन के रथ को सुरक्षित करने के लिए उन्होंने ये उपाय किए थे.
धू-धू कर जल उठा था रथ
लेकिन जैसे ही महाभारत का युद्ध खत्म हुआ श्री कृष्ण ने अर्जुन को निर्देश दिया कि जल्दी रथ से उतरो. अर्जुन के रथ से उतरने के बाद वे खुद उतरे. इन दोनों के उतरते ही हनुमान जी और शेषनाग भी अंतर्धान हो गए. और तभी अर्जुन का रथ धू-धू करके जल उठा. खूब ऊंची लपट उठी और देखते ही देखते रथ राख हो गया.
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यह थी वजह
यह देखकर अर्जुन हैरान रह गए. तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि रथ पर हनुमान जी और शेषनाग भी विराजमान थे और मैं भी सारथी के रूप में पथ पर था. ये रथ तो भीष्म पितामह, आचार्य द्रोणाचार्य और कर्ण के प्रहारों से पहले ही नष्ट हो चुका था. लेकिन हमसब के विराजमान होने के कारण यह केवल संकल्पों के सहारे चल रहा था. अब हमारे उतरते ही यह रथ से भस्म हो गया.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है.)
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