डीएनए हिंदी: 15 सितंबर से पितृपक्ष (Pitru Paksha 2022) शुरू हो रहा है.इन दिनों में पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण और ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है. पितृपक्ष के दौरान पितरों को संतुष्ट करने के लिए अनेक कार्य किए जाते हैं इनमें से एक है तर्पण. ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितृलोक में अन्न-जल नही बचता इसलिए पितर इस समय अन्न-जल हेतु पृथ्वी पर अपने परिजनों के पास आ जाते हैं.
पिंडों पर अंगूठे से जल अर्पण करने पर पितृ होतें हैं प्रसन्न
धर्म-पुराणों में हाथ के अंगूठे को पितृ तीर्थ माना गया है. महाभारत और अग्निपुराण में यह कहा गया है कि अंगूठे से पितरों को जलांजलि देने पर उनकी आत्मा तृप्त होती है. ऐसे में तर्पण के लिए अंगूठे से पिंडो पर जल चढ़ाया जाता है. पितृ-तीर्थ (अंगूठे) से पिंडों पर जल चढ़ाने से पितृ पूर्ण रूप से सन्तुष्ट हो जातें हैं.
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यह है तर्पण करने की विधि
Pitru Paksha 2022 Tarpan Vidhi: पितृपक्ष के दौरान पितरों को जलांजलि देने के लिए सबसे पहले स्नान करें. जिसके बाद शुद्ध जल, जौ, कच्चा दूध, कुशा, सुपारी, जनेऊ काला तिल और एक लाल फूल ले कर दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके अपने पूर्वजों को याद करते हुए उन्हें जलांजलि अर्पण करें. पितरों को जलांजलि देते समय उनका आह्वान करें. विधि के अनुसार पितरों के तर्पण से पहले ऋषियों को जलांजलि अर्पित करना चाहिए.
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किसी पुरूष का तर्पण करने के लिए "तस्मे स्वधा" मंत्र का उच्चारण करें साथ ही अगर आप किसी स्त्री के लिए तर्पण कर रहें हैं तो “तस्यै स्वधा” का उच्चारण करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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