डीएनए हिंदी: इस बार पितृपक्ष (Pitru Paksha 2022) 10 सितंबर से शुरू हो रहा है. पितृपक्ष में पितरों की तृप्ति के लिए अनेक कार्य किए जातें हैं. इस समय मे पिंडदान तर्पण और श्राद्ध आदि करके पितरों की आत्मा की शांति की कामना की जाती है. मान्यता है इस दौरान पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वह प्रसन्न होते हैं. पितृपक्ष के दौरान राहु-केतु के दुष्प्रभावों को भी दूर करने का उपाय किया जाता है.
स्वत्रंत ग्रह के बजाय छाया ग्रह माने जातें हैं राहु-केतु
वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु-केतु को छाया ग्रह माना गया है. राहु-केतु जीवन मे तमाम तरह की मुश्किल खड़ा करते हैं. कुंडली मे राहु-केतु की छाया अशुभ मानी जाती है. जीवन मे राहु-केतु की छाया से कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं. ऐसे में पितृपक्ष (Pitru Paksha 2022) के दौरान राहु-केतु के इन दुष्प्रभावों से बचने के लिए कई उपाय किए जातें हैं.
यह भी पढ़ें: सितंबर में पड़ रहे हैं ये प्रमुख तीज-त्यौहार, जिऊतिया से लेकर नवरात्रि तक की देखें ये पूरी लिस्ट
राहु-केतु के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए करें यह उपाय
पितृपक्ष के दौरान भूखे, गरीब और ब्राह्मणों को भोजन करवाने से राहु-केतु की दशा ठीक होती है. इस दौरान जरूरत मंद को जूते, चप्पल, छाते इत्यादि का दान करना चाहिए.
पितृपक्ष के दौरान राहु के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए के "भ्रां भें भ्रां भौ सः राहे नमः और केतु के दुष्प्रभावों से बचने के लिए " श्रं श्रीं श्रा्सा: केतवे नमः" मंत्र का जाप करना चाहिए.
इस दौरान केतु के छाया को दूर करने के लिए तिल, काजल, गर्म वस्त्र, सतंज, मूली इत्यादि का दान करना चाहिए.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु-केतु दोष निवारण के लिए इन उपायों को करने से जीवन मे राहु- केतु की दशा ठीक होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.