डीएनए हिंदी: इस महीने 10 सितंबर से पितृपक्ष ( Pitru Paksha 2022 ) शुरू हो रहा है. जो अगले 15 दिनों तक चलेगा. पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष में पिंड दान ( Pind Daan inPitru Paksha 2022 ) कर्म, तर्पण, और दान आदि किया जाता है. मान्यता है कि पितृपक्ष के समय मे यमराज भी पितरों की आत्मा को मुक्त कर देते हैं ताकि पूर्वज अपनो के बीच रह कर खाने का आनंद उठा सकें.
पिंडदान से पितरों को मिलता है मोक्ष
यह माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पिंड दान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए भी भगवान राम और माता सीता ने बिहार के फल्गु तट पर बसे गया ( Gaya pind daan ) में पिंड दान किया था. पिंडदान पितरों के मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाने वाले एक सहज और सरल उपाय है.देश भर में कई स्थान पर पिंड दान किया जाता है लेकिन गया में पिंडदान करने का अलग महत्व है.
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पिंड दान से पितरों के ऋण से विमुक्त हो जाता है व्यक्ति
महाभारत के अनुसार जो व्यक्ति पितृपक्ष के समय मे फल्गु तीर्थ पर स्नान करके भगवान विष्णु का दर्शन करता है वह अपने पितरों के ऋण से विमुक्त हो जाता है. श्राद्ध पक्ष में पिंड दान, तर्पण और ब्राह्मण भोज आदि मुख्य कार्य किए जातें हैं. इस पक्ष में कर्मकांड करने का अलग अलग विधि व विधान है.
ऐसे बनता है पिंड, ये है पिंड दान की विधि
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दक्षिणाभिमुख होकर जौं या चावल के आटे को गूंथकर गोलाकृति पिंड बनाया जाता है. जिसमें गया का दूध, घी, शक्कर और शहद का मिश्रण किया जाता है. पिंड बनाने के बाद इसे श्राद्ध भाव के साथ पितरों को अर्पित किया जाता है. पितरों की तृप्ति के लिए जल में काले तिल, जौ, कुशा एवं सफेद फूल मिलकार उस जल से विधिपूर्वक तर्पण किया जाता और श्राद्ध के तौर पर ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है.
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