Somnath Temple Darshan: महाशिवरात्रि पर करें सबसे पहले ज्योतिर्लिंग सोमनाथ के दर्शन, शिव महापुराण में बताया गया है विशेष महत्व

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 08, 2023, 04:09 PM IST

Somnath भगवान के 12 ज्योतिर्लिंग में से पहले स्थान पर माना जाता है. महाशिवरात्रि पर यहां दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है.

डीएनए हिंदी: सनातन धर्म में भगवान शिव में के पूजन का विशेष महत्व माना गया है. यही कारण है कि भगवान शिव के मंदिरों पर उनके भक्तों की भीड़ 12 महीने लगी रहती है. देश में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं, और उन सभी की महिमा का वर्णन शिव महापुराण में किया गया है. इन ज्योतिर्लिंगों में गुजरात के सोमनाथ मंदिर को पहला माना गया है और इसके चलते ही इसका महत्व अन्य ज्योंतिर्लिंगों से ज्यादा माना जाता है.

अगर आप सोमनाम मंदिर में दर्शन के लिए जाना चाहते है तो बता दें कि आपको कि यह मंदिर गुजरात प्रांत के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे, वेरावल बंदरगाह के पास है. इस सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की महिमा महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा स्कन्दपुराण आदि में भी विस्तार से बताई गई है. हालांकि इस मंदिर को कई बार आक्रांताओं ने तोड़ा भी है लेकिन इसकी महिमा कभी कम नहीं हुई है. 

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महाशिवरात्रि पर मिलेंगे विशेष लाभ

इस मंदिर में पूजन के लाभ की बात करें तो मान्यता के अनुसार जिन लोगों को मानसिक चिंता या तनाव रहता है तो  उन्हें महाशिवरात्रि के मौके पर पहले ज्योतिर्लिंग यानी सोमनाथ शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए. कहा जाता है कि यहां पूजा का धार्मिक के अलावा ज्योतिषीय महत्व भी माना जाता है. इस मंदिर में पूजा करने से कुंडली के कई दोष खत्म हो जाते हैं. 

इस मंदिर की संरचना की बात करें तो सोमनाथ विश्वप्रसिद्ध मंदिरों की लिस्ट में शीर्षस्थ मंदिरों में आता है. इस मंदिर की ऊंचाई 155 फीट है और शीर्ष पर एक कलश है. जानकारी के मुताबिक इस कलश का वजन करीब 10 टन है और एक 27 फीट का ध्वज इसके ऊपर लहराता है. बता दें कि मंदिर को तीन भागों में विभाजित किया गया है.

कई भागों में विभाजित है मंदिर

सबसे पहले जब भक्त मंदिर में प्रवेश करते हैं तो वहां ही विशाल आंगन दिखता है. मंदिर के केंद्रीय हॉल का आकार अष्टकोणीय शिव-यंत्र का है. मंदिर के बाहरी स्वरूप की बात करें तो यह समुद्र के किनारे बना है. सोमनाथ मंदिर के दक्षिण में एक बाण स्तंभ है. जानकारी के मुताबिक बाण स्तंभ एक दिशादर्शक स्तंभ है, जिसके ऊपरी सिरे पर एक तीर (बाण) बनाया गया है.

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इस बाण पर कुछ खास बातें लिखी है. इस बाण स्तंभ पर लिखा है 'आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव, पर्यंत अबाधित ज्योतिमार्ग'. इसका मतलब ये है कि समुद्र के इस बिंदु से दक्षिण ध्रुव तक सीधी रेखा में एक भी अवरोध या बाधा नहीं है.  इस स्तंभ से दक्षिणी ध्रुव तक एक सीधी रेखा खींची जाए तो बीच में एक भी पहाड़ या भूखंड का टुकड़ा नहीं आता है जो कि इसक अलौकिकता का प्रमाण है.

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