छत्तीसगढ़ में तैयार हो रहा श्रीराम वनगमन पथ, मां कौशल्या के मंदिर से शुरू होगा काम, जानें डिटेल्स

Written By अनुराग अन्वेषी | Updated: Jan 15, 2024, 04:39 PM IST

एआई की कल्पना में ऐसा है राम वनगमन परिपथ पर बनने वाला स्वागत द्वार.

Ramgaman Path: छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरिया से लेकर सुकमा तक श्रीराम वनगमन पथ बनाने की घो. इसके लिए 137 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजना पर कार्य शुरू करने का आदेश दिया जा चुका है. इसकी शुरुआत रायपुर के पास मां कौशल्या मंदिर चंदखुरी से हो रही है.

डीएनए हिंदी: अभी देश राममय है. 22 जनवरी को अयोध्या में बने राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होना है. इस बीच छत्तीसगढ़ में भी राम का वनगमन पथ तैयार किया जा रहा है. इस दिशा में राज्य सरकार ने कई फैसले कर लिए हैं. दरअसल छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम का ननिहाल यानी मां कौशल्या की भूमि है. इसीलिए इस राज्य को दक्षिण कौशल राज्य भी कहा जाता है. 
प्रदेश सरकार ने मां कौशल्या के ऐतिहासिक मंदिर को भव्य तरीके से बनाने का प्लान तैयार कर रखा है. साथ ही कोरिया से लेकर सुकमा तक श्रीराम वनगमन पथ बनाने का शंखनाद भी कर दिया है. इसके लिए 137 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजना पर कार्य शुरू करने का आदेश दिया जा चुका है. इसकी शुरुआत रायपुर के पास मां कौशल्या मंदिर चंदखुरी से हो रही है. 

राम वनगमन पथ

पर्यटन विभाग ने इतिहासकारों से चर्चा कर और विभिन्न शोध और प्राचीन मान्यताओं के आधार पर छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ के लिए 75 स्थान की पहचान की है. पहले फेज में जिन 9 जगहों का चयन किया गया है उनमें सीतामढ़ी हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (सरगुजा), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) हैं.

51 स्थानों को डेवलप करने का फैसला

रिसर्चर डॉक्टर हेमु यदु ने एक वेबसाइट को बताया कि उनकी पूरी टीम ने छत्तीसगढ़ में 24 ऋषि आश्रम, 20 नदियों के संगम और करीब 124 स्थानों पर जाकर इसका अध्ययन किया. डॉक्टर हेमु यदु ने इस रिसर्च के आधार पर 'छत्तीसगढ़ पर्यटन में राम वनगमन पथ' नाम से एक किताब भी लिखी. डॉक्टर हेमु यदु के मुताबिक, इस पुस्तक में 75 स्थानों की चर्चा है, जिनमें से 51 स्थानों को डेवलप करने का निर्णय सरकार ने किया है. 

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ऐसे होगा डेवलप

रिसर्चर डॉक्टर हेमु यदु ने कहा कि चंदखुरी में माता कौशल्या का ऐतिहासिक मंदिर है. इसे भव्य रूप में तैयार करना इतिहास संजोने की दिशा में सुखद कदम है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राम वनगमन पथ के विकास और सौंदर्यीकरण का काम शुरू करने का निर्देश दिया है. सीएम भूपेश बघेल ने इस योजना का प्रेजेंटेशन देखकर ही इसे फाइनल किया. फाइनल किए गए प्रोजेक्ट के मुताबिक राम वनगमन पथ पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों को पग-पग पर भगवान श्रीराम से जुड़े तथ्य देखने को मिलेंगे. मार्ग के किनारे जगह-जगह संकेतक, तीर्थ और पर्यटन स्थलों की जानकारी, भगवान श्रीराम के वनवास से जुड़ी कथाएं देखने और सुनने को मिलेंगी. 

राममय होगा पूरा मार्ग

राम वनगमन पथ के मुख्य मार्ग सहित कुल मार्ग की लंबाई 2 हजार 260 किलोमीटर है. यह पूरा पथ राममय होगा. इस मार्ग के किनारे जगह-जगह भगवान श्रीराम के वनवास से जुड़ी कथाएं प्रदर्शित की जाएंगी. राम वनगमन पथ के दोनों ओर विभिन्न प्रजातियों के लाखों पौधे लगाए जाएंगे.  137 करोड़ रुपए की लागत वाली इस परियोजना पर कार्य शुरू करने का आदेश दिया जा चुका है. इसकी शुरुआत रायपुर के पास मां कौशल्या मंदिर चंदखुरी से हो रही है. 

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चंदखुरी है भगवान राम का ननिहाल

चंदखुरी भगवान राम का ननिहाल है. यहां माता कौशल्या का प्राचीन मंदिर है, जो सातवीं शताब्दी का है. माता कौशल्या मंदिर को डेवलपमेंट करने के लिए 154 करोड़ की योजना तैयार की गई है. कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका से राम वन गमन पथ की शुरुआत होती है और सुकमा जिले के रामाराम में यह खत्म होती है. इस बीच की दूरी करीब 1400 किलोमीटर है. 

पर्यटकों की सुविधा का ख्याल

राम वन गमन पथ पर पहले चरण में जिन 9 स्थानों का चयन किया गया है, उन सभी में आकर्षक लैंडस्केप तैयार किया जाएगा. सभी स्थानों पर पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विकास सर्वोच्च प्राथमिकता के तहत किया जा रहा है. राम वनगमन परिपथ में कोरिया से लेकर सुकमा तक 100 किलोमीटर तक सूचनात्मक स्वागत द्वार स्थापित किए जाएंगे. यात्रियों को इससे पता चल सकेगा कि वे वनगमन के लिए सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं या नहीं. सभी पर्यटन केंद्रों में विशेष साज-सज्जा वाले पर्यटक सूचना केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे. राम वन गमन पथ का रूट मैप तैयार कर सभी विभागों को भी दिया गया है. चंदखुरी, शिवरीनारायण, तुरतुरिया और राजिम के लिए परियोजना की रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है. शिवरीनारायण ब्रिज के ऊपर लेजर लाइट शो का भी इंतजाम किया जा रहा है.

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