Chaitra Navratri 2022: क्या है इस बार माता का वाहन और कौन से संकेत छुपे हैं, जान लें 

चैत्र नवरात्र इस बार 2 अप्रैल से है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इसके साथ ही नववर्ष शुरु होता है. नवरात्र के दिनों को पूजा, हवन और यज्ञ करना शुभ है.

नव संवत्सर के साथ ही चैत्र नवरात्र का भी शुभारंभ 2 अप्रैल 2020 दिन शनिवार को हो रहा है. चैत्र नवरात्र का महत्व इसी बात से स्पष्ट होता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी. चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा पूजा पाठ यज्ञ हवन आदि के लिए अच्छा समय होता है. मां भगवती की पूजा उपासना के लिए भी यह समय श्रेष्ठ होता है, तभी तो चैत्र नवरात्र का आरंभ इसी दिन से होता है. इस बार माता का आगमन और प्रस्थान का वाहन और छुपे हुए संकेत समझ लें. 

कब है कलश स्थापना मुहूर्त

घरों में कलश स्थापना का प्राचीन परंपरा है. कलश स्थापना कब किया जाए, किस मुहूर्त में किया जाए इसका बड़ा महत्व है. इस वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 2 अप्रैल 2022 दिन शनिवार को हो रहा है. चढ़ती का व्रत 2 अप्रैल को किया जाएगाय प्रतिपदा से लेकर के नवमी पर्यंत माता भगवती के नौ रूपों की उपासना की जाती है. कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सूर्योदय काल से लेकर के प्रतिपदा तिथि पर्यंत 12:28 तक श्रेष्ठ समय है. 
 

मंगल ध्वज तोरण का खास महत्व

प्रत्येक सनातन धर्म को मानने वाले लोग इस नवरात्र में मंगल ध्वज तोरण से अपने घर को सजाते हैं. चैत्र नवरात्रि में भगवती के साथ माता गौरी का भी दर्शन पूजन प्रतिदिन क्रमानुसार किया जाता है. महाअष्टमी का व्रत 9 अप्रैल दिन शनिवार को किया जाएगा. घर-घर में होने वाली नवमी की पूजा भी 9 अप्रैल दिन शनिवार को ही होगी. महानवमी 10 अप्रैल दिन रविवार को है.

घोड़े पर हो रहा है माता का आगमन

इस नवरात्र में माता का आगमन घरों में घोड़े पर हो रहा है. जब भी नवरात्र में  माता का आगमन घोड़े पर होता है तो समाज में अस्थिरता , तनाव अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात आदि से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. आम जनमानस के सुखों में कमी की अनुभूति होती है. इसलिए इस नवरात्र में माता का पूजन अर्चन क्षमा प्रार्थना के साथ किया जाना चाहिए प्रत्येक दिन विधिवत पूजा के उपरांत क्षमा प्रार्थना किया जाना भी अति आवश्यक होगा लाभदायक होगा.
 

माता के प्रस्थान की सवारी भैंसा है

अगर नवरात्रि का समापन रविवार और सोमवार को हो रहा है, तो मां दुर्गा भैंसे की सवारी से जाती हैं. इसका संकेत होता है कि देश में शोक और रोग बढ़ेंगे. पिछले 2 साल से कोरोना की वजह से शोक और रोग के हालात देश में बने हुए हैं. 
 

हर दिन की सवारी का होता है खास अर्थ 

माता की सवारी का खास अर्थ होता है. शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का समापन हो तो मां जगदंबे मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं. ये दुख और कष्ट की वृद्धि को ओर इशारा करता है. बुधवार और शुक्रवार को नवरात्रि समाप्त होती है, तो मां की वापसी हाथी पर होती है जो अधिक बरसात को ओर संकेत करता है. इसके अलावा अगर नवरात्रि का समापन गुरुवार को हो रहा है, तो मां दुर्गा मनुष्य के ऊपर सवार होकर जाती हैं जो सुख और शांति की वृद्धि की ओर इशारा करता है.