छठ के महापर्व में भगवान सूर्य के साथ-साथ छठी मैया की भी पूजा की जाती है. ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि छठी मैया कौन हैं.
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माना जाता है कि छठी मैया सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए ये महत्वपूर्ण व्रत किया जाता है.
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ऐसा माना जाता है कि छठी माता की पूजा करने से साधक को आरोग्यता, वैभव और संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है.
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मर्कण्डेय पुराण में लिखा है कि जब ब्रह्मा जी ने पृथ्वी को साथ प्रकृति का भी निर्माण किया. देवी प्रकृति माता ने खुद को छह रूपों में विभाजित किया. जिसके छठे अंश को छठी मैया के रूप में जाना जाता है.
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इसको लेकर एक कथा मिलती है कि राजा प्रियंवद और पत्नी मालिनी की कोई संतान नहीं थी. इस बात से दुखी होकर दोनों संतान प्राप्ति की इच्छा लेकर ऋषि कश्यप के पास पहुंचे.
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तब ऋषि ने उन्हें संतान सुख पाने के लिए यज्ञ करने को कहा लेकिन उनका पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ.
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राजा प्रियंवद ने पुत्र वियोग में प्राण त्यागने का फैसला लिया. तब छठी मौया प्रकट हुईं और उन्होंने राजा से कहा कि मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति में छठे अंश से उत्पन्न हुईं हूं, इसलिए मैं षष्ठी कहलाऊंगी.
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उन्होंने राजा से कहा कि मेरी पूजा करो और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करो. राजा ने ऐसा ही किया और जल्द ही उन्हें पुत्र की प्राप्ति भी हुई.