Kashi: महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर खेली गई चिता-भस्म से होली, यहां देखें Photos

काशी के मणिकर्णिका घाट पर सुबह से ही शिव भक्तों की भीड़ नजर आ रही है. यहां खूब जोर-शोर से चिता-भस्म की होली खेली गई.

इस दौरान मणिकर्णिका महाश्मशान हर-हर महादेव के जयघोष से गूंजायमान रहा. बता दें कि यह दुनिया का सबसे चकित करने वाला पर्व है. इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग काशी पहुंचते हैं. 

खेली जाती है चिता-भस्म की होली

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में देवस्थान और महाश्मसान का महत्व एक जैसा है जहां जन्म और मृत्यु दोनों ही मंगल हैं. ऐसी अलबेली अविनाशी काशी में दुनियाभर की सबसे अनूठी जलती चिता की राख और भस्म से होली खेली जाती है.
 

बाबा के चरणों में समर्पित की जाती है चिता की राख

महाश्मशान मणिकर्णिका पर बाबा मसान नाथ के चरणों में चिता की राख समर्पित कर फाग और राग-विराग दोनों का ही उत्सव आरंभ हो जाता है. यह पूरा दृश्य ऐसा प्रतीत होता है मानो भूतभावन महादेव स्वयं वहां अपने गणों के साथ प्रकट हो गए हों.

छह दिनों तक चलता है रंग-गुलाल का सिलसिला

हर वर्ष रंगभरी एकादशी के अगले दिन महाश्मशान मणिकर्णिका पर चिता-भस्म की होली होती है. इसी दिन से बनारस में रंग-गुलाल खेलने का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है जो लगातार छह दिनों तक चलता है.
 

यह है मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रंगभरी एकादशी पर गौना के अगले दिन बाबा ने काशीवासियों को होली खेलने की अनुमति दी थी. इसके बाद उन्होंने श्मशान घाट पर महाश्मशान नाथ के रूप में अपने औघड़, भूत-प्रेत भक्तों साथ चिता-भस्म की होली खेली थी. मान्‍यताओं के अनुरूप बाबा को रंग लगाने के बाद ही होली के रंगों का खुमार परवान चढ़ता है.