MahaShivratri 2022: फूल और पत्तों से प्रसन्न हो जाते हैं भगवान शिव, इच्छापूर्ति के लिए ऐसे करें पूजा

कहा जाता है कि भगवान शिव थोड़े से ही प्रयत्नों से प्रसन्न हो जाते हैं. जानते हैं कि भगवान शिव की पूजा में किन फूल-पत्तियों का प्रयोग विशेष महत्व है.

जब मौका महाशिवरात्रि का हो तो कोई भी शिवभक्त भगवान की पूजा-अर्चना में पीछे नहीं रहना चाहेगा. शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान शिव और पार्वती का मिलन हुआ था, यही वजह है कि देश भर में भक्त अलग-अलग तरह से पूजा-अर्चना कर भगवान को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं. मान्यता यह है कि इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान के बाद भक्ति भाव और विधि-विधान से भगवान शिव का पूजन एवं अभिषेक करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. 
 

बिल्वपत्र


तीन पत्तियों वाला बिल्वपत्र भी भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है. कहा जाता है कि बिल्वपत्र के बिना शिवपूजा पूरी नहीं होती है. बताया जाता है कि इस पेड़ की उत्पत्ति मां लक्ष्मी के सीधे हाथ से हुई थी. यही वजह है कि आर्थिक तंगी झेल रहे या फिर धन की इच्छा रखने वाले लोगों को अक्सर शिवलिंग पर  बिल्वपत्र चढ़ाने की सलाह दी जाती है. 

गुलाब के फूल


कहा जाता है कि जो लोग भगवान शिव की पूजा में गुलाब के फूलों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें दोगुने फल की प्राप्ति होती है. शिवलिंग पर गुलाब के आठ फूल चढ़ाना कैलाश प्राप्ति के बराबर माना गया है. 

बेला और चमेली


विवाह की इच्छा रखने वाले भक्तों को शिवपूजा के दौरान बेला और चमेली के फूलों का इस्तेमाल करना चाहिए. कहा जाता है कि चमेली के सुगंधित फूलों से भगवान शिव प्रसन्न होकर मनचाहा वर और वधू प्रदान करते हैं. 
 

अलसी और शमीपत्र


अलसी और शमीपत्रों से शिवपूजा करने पर व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है. ये फूल ज्यादातर बसंत ऋतु में ही आते हैं. इन ऋतुफलों से पूजा करना विशेष लाभदायी होता है.

जूही और कनेर


जूही के फूलों से भोलेनाथ की पूजा करने पर अन्न की कमी नहीं होती. इससे घर में सुख-शांति भी आती है.वहीं कनेर के फूलों से शिवपूजा करने को वस्त्रादि की प्राप्ति और वैभवशाली जीवन की इच्छा के लिए लाभकारी बताया गया है.