मकर संक्राति के बाद रखें Shani Pradosh Vrat, प्रसन्न होंगे महादेव और शनिदेव

Shani Pradosh Vrat हर महीने 2 बार आता है. कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को शनि प्रदोष व्रत रखा जाता है. यह व्रत शनिदेव और शिवजी के लिए होता है.

| Updated: Jan 14, 2022, 09:24 PM IST

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15 जनवरी को पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी है. इस दिन शनि प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस व्रत में भगवान शिवजी की प्रदोष मूहूर्त में पूजा करने की परंपरा है. इस दिन शिवजी के साथ शनिदेव की भी पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि पूरे मन और निष्ठा से यह व्रत किया जाए तो सभी मनोकामना पूरी होती है. 

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पुराणों की मान्यता है कि इस व्रत को करने से लंबी आयु का वरदान मिलता है. साथ ही, प्रदोष व्रत शिवजी को प्रसन्न करने के लिए खास तौर पर माना जाता है. ऐसी मान्यता भी है कि लंबे समय से कोई मनोकामना हो तो यह व्रत करने से पूरी होती है. 

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शनि प्रदोष व्रत का मूहूर्त त्रयोदशी तिथि लगते ही शुरू होती है. इस बार त्रयोदशी तिथि 14 जनवरी की रात 10 बजकर 19 मिनट से ही लग रही है. 15 जनवरी को देर रात 12 बजकर 57 मिनट तक यह मूहूर्त है. शिव पूजा का समय शाम 5.46 बजे से लेकर रात 8.28 तक का है.

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शिव मंदिरों में शाम के समय प्रदोष काल में शिव मंत्र का जाप करना होता है. सूर्योदय से पहले जातक को उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए और गंगाजल, अक्षत, दीप, धूप और बेलपत्र लेकर भगवान शिव के मंत्र का जाप करना होता है. 

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ऐसी मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत किसी खास मनोरथ को लेकर भी किया जा सकता है. सच्चे मन के साथ शनि प्रदोष व्रत किया जाए तो कहते हैं कि भगवान शिव सभी मनोकामना प्रसन्न होकर पूरी कर देते हैं.