इस साल 18 सितंबर की रात को यह व्रत शुरू हो रहा है और 19 सितंबर तक रहेगा. तीन दिन तक महिलाएं पूजा पाठ करके अपने बच्चे की लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस व्रत में क्या खाना चाहिए और क्या खाना शुभ होता है, आईए जानते हैं
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ऐसा कहा जाता है कि मछली खाकर व्रत रखना शुभ होता है, इसलिए महिलाएं मछली खाती हैं लेकिन जो लोग शाकाहारी हैं वे नहीं खाती हैं.
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मरुआ की रोटी इस व्रत को रखने से पहले महिलाएं गेहूं के आटे की रोटी खाने की बजाए मरुआ के आटे की रोटियां खाती हैं. मरुआ के आटे की रोटी के साथ बिहार के मिथिला क्षेत्र में मछली खाने की परंपरा है. शाकाहारी महिलाएं इस व्रत में झिंगनी की सब्जी खाती हैं, इस व्रत में झिंगनी के पत्तों पर पूजा करने का भी विधान है.
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नोनी के साग में कैल्शियम और आयरन प्रचुर मात्रा में होने के कारण यह व्रती के शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं होने देता.व्रत के बाद महिलाओं को अक्सर कब्ज की समस्या हो जाती है, ऐसे में व्रत से पहले ही नोना का साग खा लेने से पाचन ठीक बना रहता है
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सरसों तेल से से बनी सब्जी खाई जाती है. पूजा के दौरान जीमूतवाहन को सरसों का तेल और खल चढ़ाया जाता है.व्रत का पारण करने के बाद यह तेल बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के तौर पर लगाया जाता है.